पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार यानी भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस हर्षोउल्लास के साथ हर साल मनाया जाता है। इस बार यह पावन पर्व हमेशा की तरह दो दिन पड़ रहा है। गृहस्थजन के लिए 11 अगस्त का दिन और साधु -संतो के लिए 12 अगस्त का दिन शुभ रहेगा।
अगर आप भी इस जन्माष्टमी पर अपने जीवन में सुख समृद्धि का वास चाहते हैं और भगवान की विशेष कृपा और आशीर्वाद पाना चाहते है तो नीचे बताए उपाय जरूर करे। तो आइए जानते हैं वो कौन से हैं उपाय…
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भगवान कृष्ण को प्रिय है तुलसी
भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी सर्वाधिक प्रिय है। शास्त्रोंके मुताबिक, श्री विष्णु केवल तुलसी के पत्ते से संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए भगवान को तुलसी जरूर चढ़ाएं। साथ ही इस दिन तुलसी की माला से ही भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप करना आपकी सारी मनोकामनाओं को पूरा कर देगा।
पारिजात पुष्प का अर्पण
तुलसी पत्र की ही तरह भगवान कृष्ण को पारिजात फूल बेहद प्रिय है। पारिजात के फूल का धार्मिक महत्व भी बहुत है और यही कारण है कि इस जन्माष्टमी पर जरूर चढ़ना चाहिए।देवी लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की पूजा में इन फूलों चढ़ाने मात्र से ही भगवान का आशीर्वाद जरूर मिलता है।
बांसुरी बिना अधूरे हैं कृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण बांसुरी के बिना भगवान खुद को अधूरा मानते हैं। अगर आप चाहते हैं कि भगवान की कृपा सदैव आप पर बनी रहे तो आपको जन्माष्टमी के दिन भगवान को बांसुरी चढानी चाहिए। अगर हो सके तो चांदी की बांसुरी चढाएं। पूजा के बाद इस बांसुरी को अपने पास रख लें और जब भी किसी काम के लिए निकले इसे साथ लेकर चलें इससे आपके हर काम पूरे होंते चले जाएंगें।
मोरपंख
भगवान कृष्ण को मोर पंख भी काफी प्रिय है। इसी कारण से कृष्ण भगवान को मोर मुकुटधारी भी कहा जाता है।शास्त्रों के मताबिक कि कृष्ण भगवान को मोर पंख बहुत पसंद था इसलिए वह सदैव मोर पंख मुकुट में सजाए रखते थे। इसलिए यदि जन्माष्टमी पर आपने भगवान को उनके प्रिय चीज को समर्पित किया तो आपको उनका आशीर्वाद जरूर मिलेगा।
गाय के दूध में गंगाजल मिलाकर करें भगवान का अभिषेक
जन्माष्टमी के दिन भगवान की पूजा करते समय शंख से उनका दुग्धाअभिषेक अवश्य करें। दुग्धाभिषेक करते समय इसमें गंगाजल अवश्य डालें। इससे आपके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और आपकी मनोकामनाएं भी पूर्ण होंगी।
इन मंत्रों का करें जाप
1. ऊं नमो नारायणाय नम:
2. ऊं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
3. ऊं श्रीकृष्णाय नम:
4. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
5. ऊं ह्रषिकेशाय नम:
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