Lockdown मेंं कानपुर पुलिस के ‘कोरोना फाइटर’, बुजुर्गों को मिली अहम जिम्मेदारी
कानपुर–जहाँ एक तरफ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वाइरस को लेकर 21 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) घोषित कर दिया है लेकिन फिर भी लोग घरों से अनावश्यक निकल रहे है ।
यह भी पढ़ें-Lockdown के चलते नहीं मिली सब्जी तो पुलिस ने घर घर बांटे आलू व टमाटर
Lockdown में पुलिस को जनता को रोकने के लिए बल प्रयोग करने की तस्वीरें भी सामने आ रही है लेकिन यह प्रयास भी नाकाफी देखते हुए कानपुर पुलिस ने कानपुर की प्रत्येक सड़क पर एक कोरोना फाइटर तैनात किए है जो लोगो को घर से बाहर नही निकलने देंगे । पुलिस के यह वो फाइटर जोकि हर फाइटर 700 परिवारों को घरों में लोगो के रहने और उन्हें बाहर नही निकलने देगा ।
कानपुर पुलिस ने एक अनोखी पहल शुरू की है । कानपुर की पनकी पुलिस ने 50000 की आबादी में मौजूदा प्रत्येक सड़क पर एक एक सीनियर सिटीजन को लिखित में कोरोना फाइटर बना कर उन्हें फूल देकर उन्हें जिम्मेदारी सौपी है कि इस लॉक डाउन (Lockdown) को सफल बनाने मे यह फाइटर बुजुर्ग एक अहम भूमिका निभाएंगे ।पुलिस का मानना है कि जिस तरह घर के मुखिया की बात पूरा परिवार मानता है ठीक उसी तरह से इनकी बात को गली के 700 परिवार मुखिया के तौर पर मानेंगे ओर उसका पालन करेंगे और लाइलाज बनी इस घातक बीमारी के खिलाफ जंग में पुलिस को मदद भी मिलेगी क्योकि पुलिस की माने तो प्रत्येक सडक पर पुलिस का पहुंचना व निगरानी करना मुश्किल है। ऐसे में यह कोरोना फाइटर इस कदम में मील का पत्थर साबित होंगे ।
वही इन बुजुर्ग सीनियर सिटीजन जिन्हें कोरोना फाइटर बनाया गया है और वो पुलिस द्वारा उन्हें लिखित में कोरोना फाइटर्स बनाया गया है उनकी माने तो यह बेहद सराहनीय कदम है। हम लोगो को जो भी जिम्मेदारी दी गयी उसको सक्रियता से निभाएंगे ओर लोगो की निगरानी करेंगे लोगो को जागरूक तो करेंगे ही साथ ही किसी को भी घरों से बाहर नही निकलने देंगे क्योकि कोरोना जैसी माहमारी को हल्के में नही लिया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी व शासन के आदेशों का पालन करना व स्थानीय लोगो को कराना यह बेहद जरूरी है इस को लेकर हम सभी फाइटर्स बखूबी इस जिम्मेदारी को निभाएंगे।
जहाँ एक तरफ पूरे देश कोरोना को लेकर Lockdown है व कई राज्यों में लोगो के द्वारा लॉक डाउन का पालन न करने के चलते कर्फ्यू तक लगाना पड़ा । वही कानपुर पुलिस की यह पहल लॉक डाउन को सफल बनाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है और इससे जागरूकता को भी बल मिल सकता है यह कहना गलत न होगा।
(रिपोर्ट-सुमित अवस्थी,कानपुर)