Lockdown: फ़तेहपुर पुलिस सख्त, 16 गिरफ्तार, कई जरूरतमंद भी हो गए शिकार

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फ़तेहपुर: लॉकडाउन (Lockdown) का उल्लंघन करने वालो पर पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए लगभग एक सैकड़ा बाइक सीज कर दीं जबकि 16 लोगों को गिरफ्तार कर उनका चालान किया गया है।

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बता दें कि कोतवाली क्षेत्र के बाकरगंज चौराहे, चौक चौराहे, ज्वालागंज तिराहे, पत्थरकटा चौराहे आदि शहर के सभी मुख्य चौराहों पर पुलिस ने सख्त अभियान चलाकर लॉकडाउन (Lockdown) का उल्लंघन करने पर 16 लोगों को गिरफ्तार किया जो बिना किसी जरूरी कारण के घूमते पाए गए। जबकि इसी दौरान अलग अलग क्षेत्र से लगभग एक सैकड़ा बाइकों को भी सीज कर दिया गया। हालांकि इस दौरान कई जरूरतमंद भी फंस गए जिन्हें गेंहू के साथ घुन की तरह पिसना पड़ा।

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इस दौरान थाना कोतवाली से लॉक डाउन का उल्लंघन करने पर धारा 188/269/270 में अभियुक्त उत्तम कुमार पुत्र सुखलाल, रोशन पुत्र रामआसरे, सुशील पाल पुत्र रामचन्द्र पाल, अभी कुमार पुत्र अवधेश कुमार, रामभवन पुत्र सुखदेव, रोशन पुत्र श्रीराम, विशाल पुत्र विपिन कुमार, अशलम पुत्र रसूल, सफीक पुत्र मौता बक्श, सानू पुत्र रहीश, राजू पुत्र गया प्रसाद, श्यामसुन्दर पुत्र बुद्धु, कमलेश कुमार पुत्र दुर्गा प्रसाद, सोनू पुत्र शिवमंगल, रईश पुत्र समी, राजू पुत्र इमामुद्दीन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

हालांकि लॉक डाउन (Lockdown) का उल्लंघन करने वालो पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए लेकिन मंगलवार को पुलिस की कार्यवाही में गांव से शहर इलाज कराने आयी कई महिलाएं भी अपने पति के साथ फंस गईं। जिन्होंने दवा का पर्चा दिखाते हुए पुलिस पर गलत तरीके से कार्यवाही करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि दस से चार तक जरूरी काम के लिए जाया जा सकता है जिसके लिए जिले के आलाधिकारियों ने छूट दे रखी है। ऐसे में पुलिस को विशेष जरूरतमंद लोगों पर कार्यवाही नहीं करनी चाहिए। जिसके पास राशन खरीदने के लिए रुपये नहीं है वह पांच हजार चालान कहां से भर पायेगा। एक महिला ने यह भी कहा कि रुपये न होने की वजह से वह गांव से सोनार को जेवर गिरवी रखने पति के साथ शहर आयी थी और रुपये लेकर घर जा रही है ऐसे में अनावश्यक घुमंतू और विशेष जरूरतमंदों को पहचान कर कार्यवाही हो तो जन सामान्य के लिए बेहतर होगा। इसे भी जिम्मेदारों को विचार करना चाहिए।

हालांकि इकट्ठे इतनी गाड़ियां सीज हो जाने से कोतवाली में भारी भीड़ लग गई और लॉक डाउन (Lockdown) का पालन कराने वालों को ही भीड़ घेरकर खड़ी हो गई। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग के भी कोई मायने नहीं रह गए।

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