जानिए डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रोन क्यों है कम खतरनाक….

देश में ओमिक्रोन वेरिएंट के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना के इस नए वैरिएंट ने भारत में भी खतरें की घन्टी बजा दी है।

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देश में ओमिक्रोन वेरिएंट के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना के इस नए वैरिएंट ने भारत में भी खतरें की घन्टी बजा दी है।  लेकिन कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रोन से लोगों को ज्यादा खतरा नहीं है। क्योंकि यह वायरस सर्दी-जुकाम से ज्यादा नहीं है। दूसरी तरफ जानकारों का मानना है कि ओमिक्रोन से हर्ड इम्युनिटी बन जाएगी और  ज्यादातर लोगों में माइल्ड इंफेक्शन ही देखा जा रहा है। लेकिन आपको वायरस के इन्फेक्शन से बचने के लिए सावधानी जरुर बरतनी होगी।

ओमिक्रोन से ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं:

जानकारों के मुताबिक अब तक सामने आये ओमिक्रोन के केस में सामान्य लक्षण फ्लू की तरह हैं पाए गये हैं। इसके साथ ही ओमिक्रोन से संक्रमित होने पर लोगों के ऑक्सीजन स्तर में गिरावट नहीं आ रही है। इतना ही नही संक्रमित होने पर कुछ दिन तक ही लोगों में इसके लक्षण दिखाई देते हैं और अस्पताल में एडमिट होने वालों की संख्या बहुत कम है।

डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रोन से मृत्यु दर कम:

साउथ अफ्रीका की एक स्टडी के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ओमिक्रोन से नुकसान कम है। वही डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन  से मरने वालों की संख्या कम है। लेकिन डेल्टा के मुकाबले ओमोक्रोन का वायरस तेज़ी से फैलता है।

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ओमिक्रोन से फेफड़ों पर नही होता कोई असर:

दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक डेल्टा की अपेक्षा ओमिक्रोन वैरिएंट से संक्रमित लोगों के फेफड़ों पर बहुत कम असर पड़ता है। बता दें कि डेल्टा वैरिएंट संक्रमित लोगों के सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है लेकिन ओमिक्रोन संक्रमित लोगों के श्वासनली तक ही रह जाता है।

 

 

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