आस्था या अंधविश्वास: यहां खप्पर पर मशालें जलाकर कुछ ऐसे भगाई जाती हैं बलायें..
एटा–आज भले ही लोग 21 वीं सदी में चल रहे वैज्ञानिक युग मे जहां लोग चाँद पर घर बनाने की बात करते हौं लेकिन वही इस भारत देश मे आज भी पूरे तरीके से अंध विश्वास हावी है, “जिसे आस्था कहे या अंध विश्वास”।
ताजा मामला जनपद एटा के थाना देहात कोतवाली क्षेत्र के गाँव दूल्हापुर में देखने को मिला है, जहां इसे “विश्वास कहे या अंध विश्वास”आज भी गाँवों में पशुओं की बीमारियाँ जैसे खुरपका,मुँहपका आदि व बच्चो और महिलाओं पर ऊपरी हवाओं के चक्कर व भूत-प्रेत के साये की बात कहकर ग्रामीण लोग आज भी रातों में हाथों में आग से जले हुए खप्पर व मशालें लेकर पूरे गाँव मे अजीब सी आवाज निकलते हुए चिल्लाते हुए घर-घर जाकर पशुओं की बीमारी व बच्चों पर अला-बला को भगाने को लेकर पूरे गाँव में खप्पर और जली हुई मशालें लेकर परिक्रमा लगाकर पूरे गाँव की सुख चैन की कामना करते हुए खप्पर को गाँव के सीमा पर फेंक कर अपनी बीमारियों व अला, बला को समाप्त करने की बात करते है।
आज भले ही लोग आधुनिक युग की बात करते हो लेकिन देश मे आज भी अंधविश्वास भारी तरीके से हावी है और आज भी पशुओं की बीमारी व बच्चो की अला-बलाओ को लेकर ग्रामीण आज भी रातों में आग से जला हुआ खप्पर व मशालें लेकर लोग आज भी गाँव में घर-घर जाकर परिक्रमा लगाकर गाँव की सलामती की दुआएं मागते है। इस खप्पर की व्यधा को “आस्था कहे या अंध विश्वास” पर जो कुछ भी हो आज भी ग्रामीण इस परंपरा पर भरोसा करते हुए मानते है। वही इन स्थानीय ग्रामीण हरिगोविन्द की माने तो खप्पर निकलने के बाद समूचे गाँव से बीमारियां व अला-बलाये चली जाती है और गाँव मे सुख चैन आ जाता है और पूरे तरीके से बीमारियां समाप्त हो जाती है। ये हमारे पूर्वजों की बहुत पुरानी परम्पराए है जिन्हें हम आज भी पूरे तरीके से मानते है।
(रिपोर्ट आर. बी. द्विवेदी , एटा )