राष्ट्रीय खेल का दर्जा पा चुकी हॉकी , आज तलाश रही है अपना वजूद

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मेरठ — राष्ट्रीय खेल का दर्जा पा चुकी हॉकी आज अपने पुराने वजूद को तलाश रही है और सरकार को हॉकी और हॉकी के खिलाड़ियों का प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए कुछ करना चाहिए

ताकि भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी में भी खिलाड़ी बढ़ चढ़ कर भाग ले और अपने देश का नाम रोशन कर सकें । ये कहना है भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र पाल सिंह का । 

दरअसल , मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में सीबीएसई के नार्थ ज़ोनल अंडर 17 और अंडर 19 लड़कियों की हॉकी की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है जिसमें दिल्ली, उत्तराखण्ड और मेरठ सहित 54 टीमों ने भाग लिया है । इस मौके पर भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र पाल सिंह को बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया ।

इस दौरान पूर्व कप्तान ने कहा कि वो खुद मेरठ में पैदा हुए और यही उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया । जब उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया तो स्कूलों में हॉकी पर पूरा ध्यान दिया जाता था । हर स्कूल की अपनी हॉकी टीम थी लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे राष्ट्रीय खेल का दर्जा पा चुकी हॉकी अपना वजूद खोती चली गई । न तो सरकार इस खेल पर ध्यान दे रही है और न ही स्कूल हॉकी जैसे खेल को प्रोत्साहन दे रहे हैं । पूर्व कप्तान ने बताया कि जैसे क्रिकेट को आज के दौर ने आकर्षक बना दिया है । 

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यही कारण की नए नए फॉर्मेट क्रिकेट के खेल में आज देखने को मिल रहे है ऐसा हॉकी के साथ नहीँ हो पाया । पूर्व कप्तान ने बताया कि जिस तरह कबड्डी जैसे खेल को आज बढ़ावा दिया जा रहा है प्रो कबड्डी लीग जैसे कार्यक्रम के माध्यम से उसी तरह हॉकी जैसे खेल पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए । पूर्व कप्तान ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब मेजर ध्यानचंद ने हॉकी के ज़रिये देश का नाम रौशन किया था तब जर्मनी के हिटलर ने उनसे हाथ मिलाकर उन्हें सम्मानित किया था लेकिन आज कोई भी युवा हॉकी जैसे खेल पर ध्यान नही दे रहा है । 

स्पोर्ट्स के सामान की बात करें या फिर खिलाड़ियों की बात करें तो सबसे पहले मेरठ का ही नाम जेहन में आता है। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र पाल सिंह समेत कई अच्छे खिलाड़ी मेरठ के ही धरती ने भारतीय टीम को दिए हैं लेकिन अब मेरठ में राष्ट्रीय खेल हॉकी पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है जिसके चलते क्रिकेट कुश्ती और निशानेबाजी जैसे खेलों में तो मेरठ के खिलाड़ी मेरठ के साथ साथ देश का नाम भी रोशन कर रहे हैं। लेकिन अपने राष्ट्रीय गेम हॉकी के मामले में ही मेरठ पूरी तरह पिछड़ता जा रहा है। 

हालांकि मेरठ के कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में एस्ट्रो ट्रैक बनाने की तैयारी चल रही है जिससे लगता है कि कहीं ना कहीं आने वाले भविष्य में हॉकी को फिर से बढ़ावा मिलेगा । लेकिन संसाधन की कमी फिर भी प्रतिभाओं को जरूर खलेगी।

वहीं इस चार दिवसीय टूर्नामेंट करने वाली सीजेडीएवी कॉलेज की प्रिंसिपल अल्पना शर्मा का कहना है कि उन्हें अपने राष्ट्रीय खेल हॉकी से काफी लगाव है।उनका कहना है कि जब से स्कूल में पदभार संभाला था तभी से स्कूल में हॉकी की टीम बना दी और हॉकी कंपटीशन करवाने लगी। क्योंकि अपने देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी है और इस खेल को पिछड़ा हुआ देखकर उनको भी काफी दुख हुआ।

इसीलिए उन्होंने अपने ही कॉलेज से इस खेल को बढ़ाने की शुरुआत की और आज उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और दिल्ली एनसीआर से 54 टीमों को इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए बुलाया गया ।वही उनका कहना है कि इस खेल में स्कूल को भी छात्रों का पूरा सहयोग करना चाहिए जिससे उनके अंदर छुपी हुई प्रतिभा निकल कर अपने अपने स्कूल कॉलेजों के साथ साथ देश का नाम भी रोशन करें।

(रिपोर्ट-शुभम शर्मा,मेरठ)

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