ऐसे अधिकारियों को दिल से सलाम…

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छत्तीसगढ़–जब एक पिता अपनी बेटी को खुद से विदा करता है तब दोनों तरफ से सिर्फ आंसू ही बहते हैं। बिलासपुर केंद्रीय जेल में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जेल में बंद एक सजायफ्ता कैदी अपनी 6 साल की बेटी खुशी( बदला हुआ नाम) से लिपटकर खूब रोया।

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वजह बेहद खास थी, आज से उसकी बेटी जेल की सलाखों के बजाय बड़े स्कूल के हॉस्टल में रहने जा रही थी। करीब एक माह पहले जेल निरीक्षण के दौरान कलेक्टर डॉ संजय अलंग की नजर महिला कैदियों के साथ बैठी खुशी पर गयी थी। तभी वे उससे वादा करके आये थे कि उसका दाखिला किसी बड़े स्कूल में करायेंगे। आज कलेक्टर डॉ संजय अलंग खुशी को अपनी कार में बैठाकर केंद्रीय जेल से स्कूल तक खुद छोड़ने गये। कलेक्टर की पहल पर शहर के जैन इंटरनेशनल स्कूल ने खुशी को अपने स्कूल में एडमिशन दिया। वह स्कूल के हॉस्टल में ही रहेगी। खुशी के लिये विशेष केयर टेकर का भी इंतजाम किया गया है। स्कूल संचालक अशोक अग्रवाल ने कहा है कि खुशी की पढ़ाई और हॉस्टल का खर्चा स्कूल प्रबंधन ही उठायेगा। खुशी को स्कूल छोड़ने जेल अधीक्षक एस एस तिग्गा भी गये।

बताते चलें कि खुशी के पिता केंद्रीय जेल बिलासपुर में एक अपराध में सजायफ्ता कैदी हैं, जिसने पांच साल की सजा काट ली है। पांच साल और जेल में रहना है। खुशी जब पंद्रह दिन की थी तभी उसकी मां की मौत पीलिया से हो गयी थी। पालन पोषण के लिये घर में कोई नहीं था इसलिये उसे जेल में ही पिता के पास रहना पड़ रहा था।कलेक्टर की पहल पर जेल में रह रहे 17 अन्य बच्चों को भी जेल से बाहर स्कूल में एडमिशन की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है ।

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