हाल-ए-मिड डे मील: एक लीटर दूध 81 बच्चो में बांटा

नियमानुसार एक बच्चे को 150 से 200 मिलीग्राम दूध देना होता है

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सोनभद्र — एक लीटर दूध को 81 बच्चो में बांटा गया। यह सुन आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन यह सच्चाई है और इसे सम्भव कर दिखाया है उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग ने । यह सब हुआ है सूबे के आखिरी और देश के 115 अति पिछड़े जिलो की सूची में शामिल सोनभद्र में।जबकि नियमो की बात करे तो एक बच्चे को 150 से 200 मिलीग्राम दूध देना है।वहीं सामने आने पर बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कम्प गया।

दरअसल यह चौकाने वाला मामला सोनभद्र जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत में स्थित प्राथमिक विद्यालय सलईबनवा में सामने आया है। इस प्राथमिक विद्यालय में कुल 171 छात्रों का नामंकन है। शासन के निर्देश पर प्रत्येक बुधवार को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बच्चो को मिड – डे- मील के अंर्तगत प्रत्येक बच्चो को 150 – 150 मिलीग्राम दूध दिया जाने का नियम है। यहां बुधवार को कुल 81 बच्चे उपस्थित रहे जिन्हें विद्यालय के स्टाफ द्वारा एक लीटर दूध में पानी मिलाकर बांटा गया। विद्यालय स्टाफ के इस कारनामे का वीडियो वायरल हुआ तो अधिकारियों में हड़कम्प मच गया।

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विद्यालय की रसोईया देव कलिया ने बताया कि ऐसा हर बार होता है लेकिन शिकायत पर कार्रवाई नही होती है जबकि हमेशा दूध में पानी और चीनी मिलाकर बच्चो में बांटा जाता है। एक पैकेट दूध था जिसमे एक बाल्टी पानी मिलाकर 85 बच्चो को पिलाया था। जबकि शिक्षा मित्र अनिल यादव ने बताया कि कल एक लीटर दूध पहले से था और दूध लेने सर जी डाला लेने गए थे लेकिन तब तक दाई लोगो ने 81 बच्चो को दूध पिला दिया था। इसके बाद दूध आने पर ढाई बजे फिर बच्चो को दूध पिलाया गया । वही इस पूरे मामले का वीडियो बनाने वाले स्थानीय व्यक्ति राजवंश चौबे ने बताया कि ग्रामीणों ने सूचना दिया कि दूध में पानी मिलाकर बच्चो को पिलाया जा रहा है।

वह जब विद्यालय पर पहुचा तो अमूल ब्राण्ड के दूध में हैण्डपम्प से पानी मिलाकर उपस्थित 81 बच्चो को पिलाया गया। इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिया। इस पूरे मामले पर बेसिक शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी मुकेश कुमार राय ने बताया कि सलईबनवा प्राथमिक विद्यालय पर कुक द्वारा एक लीटर दूध में 81 बच्चो को दूध पिलाने की बात सामने आई थी। लेकिन जैसे ही दूध कम होने की सूचना मिली तो बच्चो को पुनः दूध मानक के अनुसार दिया गया। यहां पहाड़ी इलाका है जिसकी वजह से पर्याप्त मात्रा में दूध नही मिलता है इसलिए पैकेट का दूध बच्चो को पिलाया जाता है।

(रिपोर्ट-रविदेव पाण्डेय,सोनभद्र)

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