‘सांपों के शहंशाह’ की सांप के काटने से हुई मौत

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बस्ती– जिस सांप का नाम सुन कर लोगों की सांस अटक जाती है, उसको काबू में करके महफूज घरौंदा दिलाने वाले सांपों के शहंशाह हक्कुल की सांप के काटने से मौत हो गई। सांपो की सुरक्षा के लिए हक्कुल ने अपने ही घर को नागलैण्ड बना रखा था। जिसमें सैकड़ो की संख्या में सांप चैन से रहते हैं। 

दुबौलिया थाना क्षेत्र के पिपरौली गांव में इन खतरनाक सांपों की अपनी एक अलग दुनिया है,जो अपनी दुनिया में चैन से रहते हैं। इन सांपो की दुनिया बसाई थी हक्कुल ने। हक्कुल बचपन से ही सांपों के बीच में रहते रहते पले बढ़े थे।  हक्कुल बचपन से ही इन सांपो के साथ खेलते खेलते बड़े हुए थे और धीरे-धीरे उन्हें लोगों ने सांप पकड़ने के लिए बुलाना शुरू किया। हक्कुल का कहना था कि पहले खपरैल के मकान में ये सांप सुरक्षित रहते थे लेकिन खपरैल के मकान समाप्त होने की वजह से इनके रहने की कोई जगह नहीं बची। इस वजह से ये अब ज्यादा लोगों को काटते हैं। उनका कहना था की सांपो  का रहना जरूरी है क्योंकि सांप इंसान का आधा जीवन है। हक्कुल ने अपना पूरा जीवन सांपों के संरक्षण में लगा दिया। हजारों सांपो को हक्कुल ने रहने के लिए घर दिया। सांपों के खान – पान तक का भी इंतेजाम हक्कुल करते थे। दरअसल सांप पकड़ना उन का पेशा नहीं था। जनता और सांपों की सुरक्षा के लिए उन्होंने यह काम शुरू किया। इनको न पकड़ा जाए तो ये मारे जाते हैं और जनता भी इन के काटने से मरती है। इसलिए दोनों की जान बचाने के लिए हक्कुल यह काम करते थे। हक्कुल से गोरखपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, गोंडा तक से लोग फोन कर सांप को पकड़वाते थे। हक्कुल ने अब तक अनगिनत सांपों को पकड़ा है। जो जहरीले सांप होते हैं उनको अपने पास सुरक्षित रखते थे और जो जहरीले सांप नहीं होते हैं उन को छोड़ देते थे। 

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सांप काटने से हक्कुल की मौत के बाद इलाके का माहौल गमगीन है। घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल है। बड़ी संख्या में लोग हक्कुल के घर जा कर परिजनों को संतोवना दे रहे हैं। हक्कुल लगातार सांपों के संरक्षण की लड़ाई लड़ रहे थे,जिला प्रशासन से कई बार उन्होंने जमीन की मांग की ताकि सांपों को सुरक्षित रख सकें। हक्कुल को सांपों के संरक्षण के एक एनजीओ लाइसेंस देने की बात कर रही थी,लेकिन अचानक सांप के काटने से हक्कुल की मौत हो गई। जिसके बाद एनजीओ वालों ने हक्कुल के घर पहुंच कर परिजनों को 10 हजार की आर्थिक मदद दी और सांपों को अपने साथ लेकर चले गए। 

रिपोर्ट -अमृत लाल , बस्ती 

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