H3N2 वायरस से भारत में हुई पहली मौत, मरने से पहले दिखे ये लक्षण, जानें कितना है खतरनाक

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देश में एच3एन2 (H3N2) इन्फ्लूएंजा का खतरा बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार को इस वायरस से मौत की पुष्टि हुई. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, दो लोगों की जान गई है. कर्नाटक और हरियाणा में एक-एक शख्स की मौत हुई है. मंत्रालय ने कहा कि वो एच3एन2 इन्फ्लूएंजा को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के जरिए कड़ी निगरानी रख रहा है.

मंत्रालय ने कहा, ”मौसमी इंफ्लूएंजा के मामले मार्च के अंत तक घटने की उम्मीद है. छोटे बच्चों, पहले से अन्य रोगों से पीड़ित वृद्ध व्यक्तियों को मौसमी इंफ्लूएंजा का अधिक खतरा है.”

स्वास्थ्य मंत्री की बैठक

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बैठक की. उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, ”राज्यों को अलर्ट रहने और स्थिति की बारीकी से निगरानी करने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है, केंद्र सरकार स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है और सभी स्वास्थ्य उपायों के लिए तत्पर है.’

जानें कब आया पहला केस?

एच3एन2 से मौत का पहला मामला कर्नाटक के हासन जिले में आया. राज्य में इस संक्रमण से मौत का यह पहला केस था. हासन के जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि एक मार्च को 82-वर्षीय हिरे गौड़ा की ‘एच3एन2’ से की मौत हो गई. गौड़ा (82) की एक मार्च को एच3एन2 वायरस से मौत हुई.

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स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि गौड़ा को डायबिटीज था और उच्च रक्तचाप की समस्या भी रहती थी. उन्हें 24 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और एक मार्च को उनकी मृत्यु हो गई. टेस्ट के लिए भेजे गए नमूने में पुष्टि हुई कि वह ‘एच3एन2’ से संक्रमित थे.

हरियाणा में एच3एन2 वायरस से जान गंवाने वाले 56 वर्षीय शख्स को फेफड़ों का कैंसर था. उसमें एच3एन2 की पहचान इसी साल जनवरी में हुई थी. हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि वो जींद जिले के रहने वाले थे.

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने कुछ दिन पहले ही ‘एच3एन2’ के बढ़ते मामलों के मद्देनजर अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी. सुधाकर के अनुसार, केंद्र सरकार ने अपने दिशानिर्देशों में हर हफ्ते 25 टेस्ट करने और विभाग को उपस्वरूप पर नज़र रखने को कहा है.

क्या कहना है विशेषज्ञों का

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में पिछले दो-तीन महीने से बुखार के साथ लगातार खांसी के बढ़ते मामले ‘इन्फ्लूएंजा ए’ के उपस्वरूप ‘एच3एन2’ के कारण सामने आ रहे हैं.

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