Gyanvapi ASI Survey: ज्ञानवापी में फिर शुरू हुआ ASI का सर्वे, सुप्रीम कोर्ट से मुस्मिम पक्ष को बड़ा झटका
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे (Gyanvapi ASI Survey) एक बार फिर से शुरू हो गया है. एएसआई की टीम परिसर के अंदर पहुंच चुकी है। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एएसआई को सर्वे जारी रखने का आदेश दिया। हिंदू पक्ष के दावों को लेकर यह ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराया जा रहा है। ASI की टीम ने ज्ञानवापी परिसर में आज सुबह सात बजे से सर्वे का काम शुरू कर दिया था। फिलहाल आज का सर्वे पूरा हो गया है, ASI की टीम कल फिर सर्वे करेगी।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( ASI) का सर्वेक्षण शुरू हो गया है। ASI की टीम आधुनिक उपकरणों के साथ सर्वे कर रही है। शीट पर पूरे परिसर का नक्शा बना हुआ है। वहीं हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी जानकारी देते हुए बताया कि सर्वे शुरू हो गया है।
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प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति के लोग मौजूद नहीं हैं। अंजुमन इंतजामिया के वकील कहते हैं- ‘सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। आज उनकी सुनवाई होनी है। इसकी जानकारी बनारस के अधिकारियों को दे दी गयी है। हमारा अनुरोध था कि शीर्ष अदालत के आदेश तक सर्वेक्षण रोक दिया जाए।
गौरतलब है कि 24 जुलाई को जिला जज की अदालत के आदेश पर ASI ने सील किए गए वुजूखाना को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर में सर्वे शुरू किया था। इस बीच मुस्लिम पक्ष की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया था। करीब पांच घंटे तक सर्वे चलने के बाद बंद कर दिया गया। सुनवाई के बाद गुरुवार की सुबह हाईकोर्ट ने जिला जज कोर्ट का ASI सर्वे जारी रखने का आदेश दिया।
GPR तकनीक का उपयोग करेगी टीम
सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi ASI Survey) में ASI की 20 सदस्यीय टीम के अलावा हिंदू पक्ष की चार वादिनी महिलाएं, उनके चार वकील मौजूद हैं। इसके अलावा जिला शासकीय अधिवक्ता, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के अधिवक्ता, एडीएम सिटी और एक अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मौजूद हैं।
सर्वे में कोई खुदाई नहीं होगी। टीम ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक का उपयोग करेगी। इसमें रेडियो तरंगों की आवृत्ति के जरिए यह पता चलता है कि जमीन या दीवार के अंदर क्या है। इसके अलावा कार्बन डेटिंग पद्धति से भी साक्ष्यों की जांच की जाएगी। टीम नींव, दीवारों के साथ मिट्टी में रंग परिवर्तन की भी जांच कर रहा है।
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