राजस्थान की सियासत में जबर्दस्त भूचाल आ गया है. सूब की अशोक गहलोत सरकार पर संकट के बादल अभी भी छाये हुए है. हालांकि बागी हुई सचिन पायलट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए कांग्रेस ने पार्टी से निकाल दिया है.
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गहलोत को 107 से अधिक विधायकों का समर्थन
वहीं अब अशोक गहलोत सरकार को लेकर हलचल तेज हो गई हैं. उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस के तेजतर्रार नेता सचिन पायलट के विद्रोह के बाद वहां स्थितियों में असमंजस का माहौल है. हालांकि अशोक गहलोत ने दावा किया है कि उनके पास 107 से अधिक विधायकों का समर्थन है. हम ये जानने की कोशिश करते हैं कि राजस्थान विधानसभा में कितने सदस्य होते हैं. कितने पर सरकार बनती है और फिलहाल जो दलीय स्थिति है, उसमें नंबर गेम किस तरह हो सकते हैं यानि नंबर्स किस तरह क्या बदलाव कर सकते हैं.
2018 में कांग्रेस को मिली थी100 सीटे…
दरअसल राजस्थान विधानसभा में सदस्यों की संख्या 200 की है. यानि किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 101 सदस्यों का होगा. बता दें कि दिसंबर 2018 में जब राजस्थान विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस को 100 सीटों पर जीत हासिल हुई. जबकि भारतीय जनता पार्टी को 73 सीटें मिलीं. इसके अलावा बीएसपी को 06 सीटें मिलीं तो निर्दलीय 13 सीटों पर जीते. साथ ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को 03, सीपीएम को 02, भारतीय ट्राइबल पार्टी को 02 और आरएलपी को 01 सीट मिली.
चुनाव के बाद कांग्रेस को तुरंत बीएसपी और निर्दलीयों का समर्थन मिल गया. हालांकि सरकार बनाने के दौरान ही कांग्रेस में अशोक गहलौत और सचिन पायलट दोनों के बीच मुख्यमंत्री के पद के लिए जबरदस्त रस्साकशी हुई, जिसमें गहलोत का पलड़ा भारी रहा. वो मुख्यमंत्री बने तो सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री.
ये है नंबर गेम…
दरअसल अगर मौजूदा स्थिति देखें तो अशोक गहलौत की सरकार के पास 107 कांग्रेस के सदस्य हैं और उनके समर्थन देने वाले निर्दलियों और अन्य पार्टियों के विधायकों की संख्या 17 है. यानि कुल मिलाकर 124 विधायक गहलोत सरकार के साथ हैं लेकिन सचिन पायलट का दावा है कि उनके पास 30 विधायकों का बहुमत है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि सचिन के पास 20-25 विधायकों की ताकत है. अब ये देखना होगा कि क्या इन नंबर्स के साथ वो राजस्थान में क्या सत्ता समीकरण बदल सकते हैं.
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