Govardhan Puja 2024: हिन्दू धर्म के लोगों के लिए पांच दिवसीय दिवाली पर्व का विशेष महत्व है। इन पांच दिनों में लोगों के घरों में एक अलग ही तरह की धूम देखने को मिलती है। सुबह और शाम देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। पांच दिवसीय दिवाली पर्व के पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दिवाली, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और अंत में भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।
Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा की सही तिथि
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है। हर साल यह दिन दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है, लेकिन इस साल दिवाली भी दो दिन का त्योहार हो गया है, जिसके कारण गोवर्धन पूजा की सही तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
गोवर्धन पूजा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। मान्यता के अनुसार इस दिन श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र देव के प्रकोप से ग्रामीणों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण को अनाज से बने व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, इसके साथ ही गाय और बैल की भी पूजा की जाती है और गोबर से गोवर्धन भगवान बनाकर उनकी पूजा की जाती है और परिक्रमा की जाती है।
Govardhan Puja Date: इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
इस साल गोवर्धन पूजा 1 नवंबर को नहीं की जा रही है बल्कि 2 नवंबर को की जाने वाली है। पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे से शुरू होगी और यह तिथि 2 नवंबर को रात 8:21 बजे समाप्त होगी। ऐसे में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर, शनिवार को की जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त (पूजा शुभ मुहूर्त) शाम 3:23 बजे से शाम 5:35 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना बेहद लाभकारी होता है।
Govardhan Puja 2024: कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा करने के लिए शाम के समय घर के आंगन या दरवाजे के बाहर वाले हिस्से में गाय के गोबर से लीपकर भगवान गोवर्धन की मूर्ति बनाई जाती है। इसके साथ ही गाय और बैल आदि बनाए जाते हैं। अब पूजन सामग्री में रोली, खीर, बताशा, चावल, जल, पान, केसर, दूध, फूल और दीपक शामिल करके भगवान गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा में भगवान गोवर्धन की परिक्रमा की जाती है, आरती की जाती है और भोग लगाने के बाद सभी में प्रसाद बांटा जाता है।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहते हैं
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के सामने खाद्य पदार्थों से पर्वत बनाकर चढ़ाया जाता है। इसे अन्न का पर्वत भी कहते हैं। इस भोग में चावल, खीर, पूरी, सब्जी, कढ़ी और कई तरह के व्यंजन शामिल किए जाते हैं और भोग लगाने के बाद ये चीजें सभी में प्रसाद के रूप में बांटी जाती हैं। इस तरह गोवर्धन पूजा पूरी होती है।
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