सोनभद्रः उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला देश के सर्वाधिक पिछड़े जिलों में एक है। नीति आयोग ने इसे पिछड़ा जिला होने का दर्जा दिया है। आदिवासी बहुल इस जिले में कोरोना महामारी के खिलाफ बहुत ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। नेपाल , चीन , अमेरिका जैसे देशों से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही सोनभद्र जिले के दुद्धी कस्बे की दो सगी बहनों सहित छः बेटियो (students) ने इन्हें जागरूक करने का बीड़ा उठाया है।
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6 छात्राओं का दल कर रहा जागरुक
वहीं विदेश से आने के बाद पहले 28 दिनों तक सेल्फ आइसलोसन में रही और इसके बाद कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ने के लिए मैदान में उतर पडी। इस दौरान आदिवासी बाहुल्य गांव के कई टोले में जाकर कॅरोना बीमारी, इससे बचाव, क्वारनटाईन, सेल्फ आइसोलेशन, लॉक डाउन, सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग आदि पर विस्तृत रूप से ग्रामीण महिला-पुरुषों को प्रकाश डालते हुए समझाया। इन 6 छात्राओं (students) के दल में 4 एमबीबीएस और 2 डीफार्मा की छात्रा शामिल है।
जागरूकता टीम में येरीवान स्टेट गवर्नमेंट मेडिकल यूनिवर्सिटी अर्मेनिआ से एमबीबीएस फाइनल की छात्रा ऐमन अंसारी , यूनिवर्सल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस नेपाल से एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा मुस्कान गुप्ता , युन्नान यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रेडिशनल चाइनीस मेडिसिन चीन में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा शबनम परवीन , येरिवान स्टेट गवर्नमेंट मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा एरम अंसारी शामिल हैं। यह सभी सोनभद्र जिले के दुद्धी नगर की बेटियां हैं।
मास्क और ग्लब्स ग्रामीणों किया वितरित
इस टीम एक डॉक्टरों के अलावा अलीगढ़ से डीफार्मा की डिप्लोमा हासिल कर चुकी दुद्धी की ही बेटी हबीबा खातून व हेरिटेज वाराणसी से नर्सिंग की पढ़ाई की विजयलक्ष्मी सिंह भी शामिल हैं। जागरुकता दल को दवा व्यवसाईयों द्वारा उपलब्ध कराया गया। मेडिसिन नगर के प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा मुहैया कराया जा रहा है , इसके साथ ही मास्क और ग्लब्स ग्रामीणों में निःशुल्क वितरित किया जा रहा है। वही मेडिकल छात्राओं की कोरोना वायरस के खिलाफ इस मुहिम की तारीफ प्रशासन भी खूब कर रहा है।
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(रिपोर्ट- सुजीत कुमार, बलरामपुर)