यूपी की सियासत में विपक्षी नेताओं से उठक-बैठक कराएगा सरकारी तोता (CBI)

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—(तौसीफ़ क़ुरैशी)

आगामी आम चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे क़रीब आ रही हैं; सियासी लोगों की परेशानियाँ भी बढ़ती जा रही है। सियासत में जितना नाम व शोहरत मिलती है । उसकी आम आदमी कल्पना ही कर सकता है क्योंकि उसके ठाठबाट देखकर वह अन्दर ही यह सोचने लगता है कि क्या शानदार ज़िन्दगी जी रहा है ।

     मगर उसको वह दिखाई नही देता जो इस ठाठबाट को बनाने के लिए उलटे सीधे रास्ते पर चलकर उसको बीमारियाँ लिपट जाती है जिसका उसके पास कोई इलाज नही होता। उसकी उन ग़लतियों का हिसाब किताब रखने के लिए सरकार के पास ऐसी एजेंसियाँ है , जिनको CBI व ED (प्रवर्तन निदेशालय)कहते है (सरकारी तोता) भी कहा जाता है जब सरकार को लगता है कि यह हमारे विपरीत चल रहा है तो उनके वह काले कारनामों की फ़ाइलें तैयार रहती है। तब उनको बाहर निकाल दिया जाता है और ताबड़तोड़ कार्रवाई करने के फ़रमान का वह इतनी तेज़ी से अमल करती है कि सरकार के ख़िलाफ़ बोलने व दौड़ने की जगह वह रेंगने लगता है।

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    यह बात अलग है कि वही सीबीआई (सरकारी तोता) को जब सही दिशा में काम करने को कहा जाता है तो वह हाथ खड़े कर देती है जैसे नजीब के मामले में उसने हाथ खड़े किए यह बात हम सबको मालूम है पर ऐसा वह सियासी मामलों में नही करती वह जैसा चाहती है नेता ऐसा ही बोलता है यूपी की सियासत में विपक्षी राजनैतिक दलों से उठक बैठक कराएगा। सरकारी तोता (सीबीआई) ‘जितनी चाबी भरी राम ने, उतना चले खिलौना’ ऐसा हमने एक बार नही कई बार देखा है और ऐसा भी नही है कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही इसका इस्तेमाल कर रहे।

    जिस भी दल की केन्द्र में सरकार रही उसने ही अपने सियासी फ़ायदे के लिए इसका इस्तेमाल किया है ।हाँ यह बात अलग है कोई इसका बेजा इस्तेमाल करें तो कोई मामूली पर किया सबने है इससे इंकार नही किया जा सकता।अब आपको सरकारी तोते के बारे में बताते है कि किस तरह वह नेताओं को नचाती है बिहार विधानसभा चुनाव की बात करते है जिसमें महागठबंधन कर बिहार चुनाव लड़ने की बात की जा रही थी। मोदी की भाजपा सरकार को लगा कि अगर विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़ा तो मोदी की भाजपा बिहार नही जीत पाएगी तो महागठबंधन न हो इसके लिए सरकारी तोते को लगाया गया। इसके बाद तुरन्त परिणाम आने शुरू हो गए सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने इसमें अहम भूमिका निभाई और महागठबंधन बिहार में नही हुआ क्योंकि आय से अधिक सम्पत्ति को लेकर सरकारी तोता (सीबीआई) उनको पहले से ही घेरे थी। 

    इसी बीच यादव सिंह का मामला सामने आ गया इसमें सपा के चाण्क्य समझने वाले प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव व उनके पुत्र घिर गए। फिर क्या था सपा सरकारी तोते के सामने नाचने जैसी स्थिति में आ गई। महागठबंधन तो तोड़ ही दिया गया और इसके बाद जो बयानबाज़ी हुई वह हैरतअंगेज़ थी। सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में सपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संभोधित करते हुए कहा था कि बिहार में विधानसभा चुनाव में मोदी की भाजपा जीत रही है। उस वक़्त मैं भी वहाँ मौजूद था सब लोग यह सुन सन्न रह गए कि नेताजी क्या कह रहे है और बहुत कुछ कहा भाजपा के पक्ष में।इसका परिणाम यह रहा कि बिहार में महागठबंधन नही हुआ यह बात अलग है कि इसके बावजूद भी गठबंधन जीत गया लेकिन सरकारी तोते का काम चलता रहा अब बिहार के बाद गुजरात विधानसभा के चुनाव आ गए। यहाँ सपा और बसपा दोनों ने मोदी की भाजपा के लिए काम किया इन दोनों ने सब जगह अपने-अपने प्रत्याशी खड़े कर चार-चार पाँच-पाँच हज़ार वोट लेकर कांग्रेस के प्रत्याशियों को हराने की भूमिका निभाई कांग्रेस के काफ़ी प्रत्याशी एक से लेकर पांच हज़ार से कम वोटों से हारे ओर मोदी की भाजपा जीत गई। 

     अब यही भूमिका मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ ,राजस्थान के विधानसभा के चुनाव में और यूपी के आगामी लोकसभा चुनाव में निभा रहा है सरकारी तोता (सीबीआई) और साथ में वही दो दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी है बसपा की अध्यक्ष कु. मायावती के साथ भी वही परेशानी है जो सपा के लोगों के साथ है। आय से अधिक संपत्ति का मामला उनके भी गले की हड्डी बना हुआ है।ऐसी संभावनाएँ भी व्यक्त की जा रही है कि अगर सारी कोशिशों के बाद भी कांग्रेस पार्टी पाँच राज्यों में हो रहे चुनावों में से तीन चार राज्य जीतने में कामयाब रही जिसकी संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। शुरूआती रूझानों से यही संकेत मिल रही है कि मध्य प्रदेश , राजस्थान , छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें बनने जा रही है। यह संभावना अगर सही साबित हुई तो सरकारी तोते की भूमिका बदल जाएगी। इससे यह संदेश जाएगा कि आम चुनाव में कांग्रेस जीत कर आ रही है फिर जो दल सरकारी तोते के आगे नाचने की भूमिका में रहते वह कांग्रेस के नज़दीक जाने का बहाना तलाशेंगे और जो मोदी एण्ड कंपनी से घबराए हुए है वही लोग कांग्रेस की बात करते दिखाई देंगे। तो यह भूमिका निभाती है हमारी जाँच एजेंसियाँ ED (प्रवर्तन निदेशालय)और CBI सरकारी तोता।एक शायर का शेर है जिस जगह आदमी जाने से छोटा लगे उस बुलंदी पर जाना नही चाहिए।न ग़लत तरीक़े अपना कर बुलंदी छुएँगे और न ही सरकारी तोते हमें नचाएँगे।

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