डेड बॉडी को पीटने से लेकर उन्हें दफनाने तक, किन्नरों के ये रहस्यमयी राज जानकर चौंक जायेंगे आप

हमारा समाज में विभिन्न लिंग, वर्ग,जाति समुदाय और पंथ के लोग निवास करते हैं।  सबकी अपनी अपनी जीवनशैली होती है। सबका अपना जीवन जीने का तरीका होता है लेकिन हमारे बीच में ही कुछ ऐसे लोग होते हैं।

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हमारा समाज में विभिन्न लिंग, वर्ग,जाति समुदाय और पंथ के लोग निवास करते हैं।  सबकी अपनी अपनी जीवनशैली होती है। सबका अपना जीवन जीने का तरीका होता है लेकिन हमारे बीच में ही कुछ ऐसे लोग होते हैं। जो सामान्यतः हमारे जैसे नहीं अपितु शारीरिक रूप से हमसे अलग होते है। व्यक्ति का जन्म या तो पुरुष योनि में होता है या फिर महिला योनि में। लेकिन कुछ ऐसे भी वर्ग होते है जिनका संबंध न तो पुरुष जाति से होता है और न ही महिला जाति से। ये एक खास समाज से आते हैं जिन्हें किन्नरों के रूप में जाना पहचाना जाता है। किन्नरों के अलावा इन्हे हिजड़ा या छक्का भी कहा जाता है। एक सभ्य समाज में इन्हे हेय दृष्टि से देखा जाता है। इन्हे देखकर लोग असहज हो जाते है तथा इनसे भागते फिरते दिखते हैं।

इनके रीतिरिवाजों का समान्य लोगों से अलग होना –

पुरुषों और महिलाओं से इतर इनके अपने अलग रीतिरिवाज होते हैं। ये सामान्य लोगों की तुलना में अपने रीतिरिवाजों का बखूबी पालन करते हैं। जन्म से लेकर मृत्य तक इनके अपने रीतिरिवाज होते हैं जिनका पालन करना इनके लिए अनिवार्य होता है।

सिर्फ एक दिन के लिए होती किन्नरों की शादी:

आपको ये जानकर काफी हैरानी होगी कि किन्नरों की शादी सिर्फ एक दिन के लिए ही उनके आराध्य देव ‘आरावन’ से होती है। ऐसी मान्यता है कि शादी के अगले ही दिन आरावन देवता की मौत हो जाती है और इनका वैवाहिक जीवन समाप्त हो जाता है।

रात में निकाली जाती है शव यात्रा:

जब किसी किन्नर की मौत होती है तो उसके शव को दिन के उजाले में न निकालकर रात में निकाला जाता है इसके पीछे इनका ये तर्क होता है कि यदि शवयात्रा को दिन में निकाला जाये और किसी साधारण व्यक्ति की नजर इसपर पड़ जाये तो अगले जन्म में भीं वो किन्नर ही पैदा होगा।

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मरने के बाद शव को जूतें चप्पलों से मारा जाता है:

आपको ये जानकरी काफी हैरानी होगी कि जब कोई किन्नर मरता है तो उसके मृत शरीर को किन्नर समुदाय के लोगों द्वारा जूतों चपल्लों से मारा जाता है। किन्नर समुदाय के लोगों के अनुसार ऐसा करने से इस जन्म में किए उनके सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता हैं।

अंतिम संस्कार:

किन्नरों के अंतिम संस्कार की रस्म भी साधारण लोगों से काफी अलग होती है। यदि किसी किन्नर की मौत होती है तो उनका सम्पूर्ण समाज एक सप्ताह तक अन्न को त्याग देता है इसके अलावा  इनके शवों को जलाया नहीं बल्कि दफनाया जाता है।

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