आखिर क्यों खेतों में बाँधी जा रही हैं महिलाओं की साड़ियां ?

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हरदोई– उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में आजकल दूर-दूर तक खेतों में महिलाओं की साड़ियां बंधी हुई नजर आ रही हैं। पहली नजर में देखने पर यह अंधविश्वास या मनौती से जुड़ा मामला समझ में आता है ; लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। दरअसल यहां मामला किसी मनौती का नहीं बल्कि इंसान और पशुओं के बीच आपसी संघर्ष का है।

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 उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के ग्रामीण इलाकों में किसान इस समय आवारा पशुओं से बहुत परेशान है। बड़ी संख्या में यह आवारा पशु किसानों के खेत में खड़ी फसलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं। ऐसे में किसानों ने इन आवारा पशुओं को रोकने के लिए अपने खेतों की कटीले तारों से लेकर कटीले झाड़-झंखाड़ तक से रोकथाम की है लेकिन उसके बाद भी खेतो में इन आवारा पशुओं का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में इलाके के कुछ किसानों ने अपने खेतों में इन आवारा पशुओं को रोकने के लिए खेतों के किनारे – किनारे अपने घरों की महिलाओं की कुछ साड़ियां बांधी। जब साड़ी बांधने के बाद इन आवारा पशुओं का खेतो में कहर कुछ कम लगा तो देखते ही देखते पूरे इलाके के अधिकतर लोगों ने अपने अपने खेतों में अपने घर की महिलाओं , बहू-बेटियों को कामचलाऊ कपड़ो में रखकर घर की साड़ियां खेतो में बाँध रखी है। किसानो का मानना है की खेतो में बाँधी गयी अलग – अलग रंग की यह साडिया जब हवा में हिलती है तो उसके कारण आवारा पशु खेतो से दूरी बनाये रहते है ऐसे में उनकी फसल बची रहती है।

महिलाओ के तन को ढकने वाली साड़ियों को पशुओ से बचाने के लिए खेतो के किनारे बांधे जाने की इस खबर से प्रसाशन भी इस समस्या के लिए संजीदा है। डीएम के निर्देश पर अधिकारी मौके पर जाकर इस समस्या के निदान कराने के प्रयास में है ,जिससे कि महिलाओ को तन ढकने के लिए उनकी साड़ियों को खेतो में ना लगाना पड़े और आवारा पशुओं की समस्या का भी निदान हो सके। 

रिपोर्ट-सुनील अर्कवंशी,हरदोई  

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