अयोध्या मामले की अंतिम सुनवाई कल,सुरक्षा-व्यवस्था चाक चौबंद

16 अक्टूबर को इस मामले की 40वीं और अंतिम सुनवाई

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न्यूज डेस्क — अयोध्या में फैसले की घड़ी नजदीक आने के साथ ही यहां हलचल तेज हो गई है,जिसको देखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है। अयोध्या में धारा 144 लगा दी गई है। दरअसल कई वर्षों से कोर्ट में चल रहे अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई अब अंतिम दौर में चल रही है। सुप्रीम कोर्ट में 17 अक्टूबर से पहले ही इस मामले की सुनवाई खत्म होनी है यानी अब सिर्फ 1 दिन की सुनवाई बाकी है।16 अक्टूबर को इस मामले की 40वीं और अंतिम सुनवाई होगी।

सोमवार को अदालत में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें रखी गईं थी,आज यानी मंगलवार को हिंदू पक्ष अपनी अंतिम दलीलें रखी। मंगलवार को इस मसले की सुनवाई का 39वां दिन है।सूत्रो की माने तो अयोध्या जमीन विवाद मामले में नवंबर के पहले हफ्ते में फैसला आ सकता है।

वहीं मंगलवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील के पाराशरण ने कहा कि बाबर ने अयोध्या में मस्जिद बनाकर जो भूल की, उसे सुधारे जाने की जरूरत है। अयोध्या में कई (50-60) मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम नमाज अदा कर सकते हैं, लेकिन हिंदू भगवान राम के जन्मस्थान यानी अयोध्या को नहीं बदल सकते।
पाराशरण ने कहा, ‘‘सम्राट बाबर ने भारत को जीता और उसने अयोध्या यानी भगवान राम के जन्मस्थान में मस्जिद बनवाकर ऐतिहासिक भूल कर दी। ऐसा करके उसने खुद को सभी नियम-कानून से ऊपर रख लिया।’’

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उधर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने पाराशरण के जवाब पर आपत्ति जताई। धवन ने उनसे पूछा- क्या आप बता सकते हैं कि अयोध्या में कितने मंदिर है? पाराशरण ने कहा कि मैंने अपना तर्क भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर दिया था।

बता दें कि अयोध्या मामले की इसी साल 6 अगस्त से चीफ जस्टिस की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच में नियमित सुनवाई चल रही है।5 जजों की बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी हैं।

गौरतलब है कि 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

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