पिता के त्याग ने बनाया बेटे को स्टार क्रिकेटर

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लखनऊ — हुनर और मेहनत पैसों की मोहताज नहीं होती। यह बात कपड़े सिलकर गुजारा करने वाले नईम अंसारी के बेटे जीशान पर सटीक बैठती है। हाल ही में इकाना इंटरनैशनल क्रिकेट स्टेडियम में हुए अपने पहले रणजी मैच में लखनऊ के लेग स्पिनर जीशान अंसारी ने रेलवे टीम के 6 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई।

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जीशान की इस क्रिकेट यात्रा में पिता नईम के त्याग को नहीं भुलाया जा सकता। आईटी चौराहे पर टेलरिंग शॉप चला रहे नईम ने बेटे के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बकौल नईम, जब बेटे ने रणजी कैप पहनी तो लगा मेरी जिंदगी की सारी तपस्या आज पूरी हो गई। 

जीशान के चाचा ग्यास बताते हैं कि अलीगंज के एलडीए स्टेडियम में उसका दाखिला करवाने पर रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने तंज कसते हुए कहा कि क्रिकेट में कुछ नहीं रखा है। बेटे को कपड़े सिलने के काम में लगाओ। जीशान के पिता नईम कहते हैं कि आज जब बेटा सफल क्रिकेटर बन गया तो वही लोग कहते हैं, हमें पता था, जीशान एक दिन देश का नाम रोशन करेगा। जीशान की क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए नईम को बरसों जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ी। लोगों के ताने सुनने पड़े मगर बेटे के सपने की खातिर उसकी हर जरूरत पूरी करते रहे। यहां तक कि नईम की बहन गुड़िया भी जीशान की क्रिकेट किट के लिए पैसे बचातीं। नईम को यकीन है कि उनका बेटा जल्द ही भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा होगा। 

कोच गोपाल सिंह के मुताबिक, जब जीशान मेरे पास आया, महज आठ साल का था। पहली बार मैंने उसे गेंदबाजी करते देखा तो लगा कि उसके अंदर गेंद घुमाने की कला शानदार है। मैंने उसके इस हुनर पर काम किया। उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज वह एक उम्दा फिरकी गेंदबाज बनकर उभरा है। अब वह दिन दूर नहीं, जब वह टीम इंडिया का हिस्सा होगा। 

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