अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ गए कई मंदिर व शिवालय
उपेक्षा का शिकार बना खजुहा की प्राचीन कालीन धरोहर
फतेहपुर मुख्यालय से 34 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में लगभग पंद्रह हजार से ऊपर आबादी वाले खजुहा कस्बे में एक सैकड़े से अधिक प्राचीन धरोहरों में मंदिर, शिवालय, तालाब, विशाल फाटक, कुंए आदि जर्जर स्थिति में अपनी उपेक्षा के शिकार पर आंसू बहा रहा है, जिसको अतिक्रमणकारियों ने अवैध कब्जा करके शासन – प्रशासन को ठेंगा दिखाकर अपना व्यवसाय आदि बड़े आराम से कर रहे हैं।
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तहसील मुख्यालय बिंदकी से मात्र छः किलोमीटर दूर स्थित अपने ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता व छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध खजुहा कस्बा जो शासन प्रशासन के नजरअंदाज के कारण व देखरेख के अभाव के चलते पुरानी धरोहर आज अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा है। यह जनपद फतेहपुर का दुर्भाग्य है कि जहां पर वर्तमान सरकार के चार विधायक, दो राज्य मंत्री एवं सांसद ( केंद्रीय राज्य मंत्री ) के होते हुए भी कस्बे में सैकड़ों के तादात में पुरानी धरोहरें अपनी पहचान मिटाने के लिए मजबूर हैं। कस्बे में उत्तर दिशा में तुलाराम तालाब जर्जर हालत में है। वहीं दक्षिण दिशा में प्राचीन शक्तिपीठ धाम मां पंथेश्वरी के तालाब में सरकारी योजनाओं से कभी भी पानी नहीं भरा गया है। हां यह जरूर है की प्रत्येक नवरात्र में समाजसेवियों द्वारा उक्त तालाबों में पानी भरवा दिया जाता है जिससे उसका अस्तित्व आज भी बरकरार है।
इसी क्रमानुसार पूरब दिशा में 52 बीघा में बना तालाब आज अतिक्रमणकारियों के शिकंजे में कैद है, जो फतेहपुर से आगरा को जाने वाला मुगल मार्ग पूरब और पश्चिम में स्थित विशाल फाटक हर साल बारिश के मौसम में थोड़ा-थोड़ा करके गिरता रहता है जिससे कभी भी बहुत बड़ा हादसा हो सकता है। इसी तरह प्राचीन मंदिरों की हालत भी अच्छे नहीं है। कुछ मंदिरों को छोड़ दिया जाए तो बाकी मंदिरों में की हालत काफी जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। आपको बता दें कि खजुहा कस्बे में 121 मंदिर, कुएं व तालाब है जिसमें कुछ कुएं जीवित स्थिति में है, शेष सूख गए या फिर अतिक्रमणकारियों के भेंट चढ़ गए हैं। यहां पर बहुत से ऐसे मंदिर हैं जहां आसपास काफी मात्रा में खरपतवार एवं झाडियों का बसेरा है जिसके कारण मंदिर बहुत ही जर्जर स्थिति में हो गए हैं जिनका अस्तित्व धीरे धीरे समाप्त हो रहा है। जर्जर स्थिति को देखते हुए कस्बे वासियों ने आपस में चंदा करके कुछ मंदिरों को बचाने के लिए उसकी साफ-सफाई व रंगाई पुताई समय-समय पर करवाते रहते हैं। पुरानी धरोहरें होने के कारण खर्च अधिक होने से जीर्णोद्धार भी ठीक से नहीं हो पा रहा है, फिर भी ऐसे मंदिरों का अस्तित्व बचने की उम्मीद अभी भी की जा सकती है।
पुरानी धरोहर को बचाने के लिए कस्बे के समाजसेवी चमन लाल गुप्ता, सौरभ गुप्ता सुमन, गोपाल गुप्ता, नयन सिंह आदि ने पुरातत्व विभाग से मांग किया है कि इसका शीघ्र ही जीर्णोद्धार कराया जाए अन्यथा धीरे धीरे इनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।