गबन मामले में 80 हजार खातों की होगी जाँच
औरैया– एनटीपीसी परिसर में स्थित उपडाकघर में 1316920 रुपये गबन का मामला अभी हाल ही में पकड़ा गया। अब विभाग ने एनटीपीसी उपडाकघर एवं दिबियापुर के मुख्य डाकघर के लगभग 80 हजार खातों की जांच शुरू कर दी है।
डाक कर्मियों का मानना है कि जांच में किसी बड़े रैकेट और बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है। 13 लाख रुपये गबन होने की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जहां डाकघर में हड़कंप मचा रहा; वहीं उपभोक्ता भी परेशान रहे। इस मामले में एक तथ्य यह भी है कि गबन का खुलासा होने पर दोनों आरोपियों ने रुपये भी जमा कर दिए हैं।
डाक निरीक्षक योगेश कुमार की तहरीर पर एनटीपीसी टाउनशिप में स्थित डाकघर में उप डाकपाल पद पर तैनात रहे विवेक कुमार एवं सहायक उप डाकपाल पद पर दिबियापुर तैनात रहे जयप्रकाश के खिलाफ विभिन्न जमा खातों के अभिलेखों में हेरफेर कर 1316920 रुपये के गबन की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जहां डाकघर कर्मियों में हड़कंप मचा रहा; वहीं उपभोक्ता भी अपने खातों को लेकर बैचेन दिखे। इस संबंध में डाकनिरीक्षक योगेश कुमार ने बताया कि एनटीपीसी स्थित उपडाकघर के लगभग 10 हजार एवं दिबियापुर मुख्य डाकघर के लगभग 70 हजार खातों की जांच शुरू की गई है।
यदि किसी भी बंद या स्थानांतरित खाते में इस तरह का घोटाला सामने आया तो संबंधित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि खाता धारक परेशान न हों। क्योंकि यह गबन डाकघर का किया गया, न कि किसी उपभोक्ता के खाते से हुआ। लोगों का मानना है कि आरोपी उप डाकपाल जयप्रकाश दिबियापुर पोस्ट आफिस में लंबे समय से कार्यरत रहे। इसलिए यहां पर और भी खातों की जांच में गबन का मामला सामने आ सकता है।
गबन में प्रयोग हुए अधिकतर खाते चतुर्थ श्रेणी कर्मी के रिश्तेदारों या परिचितों के हैं। एनटीपीसी के उपडाकघर में 13 लाख रुपये गबन के मामले में एनटीपीसी उपडाकघर में तैनात एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भूमिका को संदेह के घेरे में देखा जा रहा है। जिन स्थानांतरित एवं बंद खातों में यह गबन हुआ। उनमें से अधिकतर खाते इसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रिश्तेदारों या परिचितों के बताए जा रहे हैं। बताते हैं कि इसकी जांच रिपोर्ट डाक निरीक्षक योगेश कुमार ने उच्चाधिकारियों को भेजी थी।
दिसंबर 2015 से बंद हो चुके एवं स्थानांतरित हो चुके खातों से गबन का सिलसिला अक्टूबर 2016 तक चलता रहा। कई बार आडिट होने के बावजूद इसका खुलासा नहीं हुआ। मामला तब खुला जब अक्टूबर 2016 में दिबियापुर डाकघर सीबीएस श्रेणी में तब्दील हुआ और सभी डाटा कंप्यूटर में चढ़ने लगे। डाक निरीक्षक योगेश कुमार के अनुसार मामला खुलासा होने के बाद अक्टूबर 2017 तक संबंधित कर्मियों ने अपना गला फंसता देख पूरा रुपया भी डाकघर में जमा करा दिया।
(रिपोर्ट -वरुण गुप्ता,औरैया)