ई- रिक्शा बने बवाल-ए- जाम !

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फर्रुखाबाद–शहर में यातायात की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस विभिन्न प्रकार से अभियान चला रही है। लेकिन सभी अभियानों में सरकारी धन का दुरुपयोग कर केवल खानापूर्ति दिखाई दे रही है।

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ई रिक्शा चालकों ने शहर को जाम का अड्डा बना कर रख दिया है।जिस कारण जाम में फंसकर एक घण्टे का काम चार घण्टो में हो पा रहा है। नगर पालिका में सभी ई रिक्शा के रजिस्ट्रेशन कराए जाते है लेकिन बहुत कम ई रिक्शा के रजिस्ट्रेशन हो पाए हैं। जबकि शहर में लगभग चार हजार रिक्शा सड़को पर दौड़ रहे है। कभी कभी तो नेहरू रोड पर जाम के कारण एम्बुलेंस से अस्पताल जा रहे मरीज घण्टो जाम में फंसे रहने के कारण अपना दम तोड़ देते है।व्यापारी अरुण प्रकाश तिवारी उर्फ ददुआ ने बताया कि एक तो दुकानदार अतिक्रमण करता है उसके बाद सभी वाहन मालिक अपनी अपनी गाड़ियों को मुख्य बाजार मार्ग पर पार्किंग करते है।

जिला प्रसाशन से लेकर नगरपालिका को यह तय करना चाहिए कि शहर के अंदर कितने ई रिक्शा व टैक्सियां चलनी चाहिए जिससे जाम न लग सके। दूसरी तरफ पार्किंग की व्यवस्था करानी चाहिए उसके बाद जो फुटपाती दुकानदार है उनके भी रोजगार के लिए जगह को सुनिश्चित करनी चाहिए।जिससे आम जनता को काफी राहत मिल सकती है।ई रिक्शाओ की संख्या अधिक क्यो-शहर के मुख्य मार्गो से लेकर गलियों में ई रिक्शा के अलाबा कुछ नही दिखाई देगा क्योकि छोटा जिला होने के कारण बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है।जिस कारण लोग अपनी वे रोजगारी खत्म करने के लिए लोन पर ई रिक्शा निकाल लेते है।उसकी आमदनी से अपने परिवार का भरण पोषण करते है। क्योंकि ई रिक्शा से सुबह से शाम तक 500 से 800 रुपये की इनकम हो जाती है जिस कारण हर बेरोजगार ई रिक्शा खरीद रहा है।जाम शहर के लाइलाज बीमारी बना हुआ है। पुलिस इसी प्रकार काम करती रही तो आने वाले सुबह से लेकर शाम तक जाम ही जाम दिखाई देखा। 

(रिपोर्ट – दिलीप कटियार , फर्रुखाबाद )

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