‘मनरेगा’ में काम न मिलने से प्रवासी श्रमिकों के सामने दो जून की रोटी का खड़ा हुआ संकट
17230 प्रवासियों को अभी भी काम की है तलाश.
कोरोना संक्रमण के बाद घरों को लौटे प्रवासी श्रमिकों के सामने अब रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो रही है। गांव स्तर पर श्रमिकों को काम दिलाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में मजदूरों को पर्याप्त काम नहीं मिल पा रहा है।
यह भी पढें-रक्षाबंधन पर जानें मुहूर्त और सही समय, राशियों के अनुसार बांधे इस रंग की राखी
जिले के 13 विकास खंडों की 840 ग्राम पंचायतों में 291472 जॉब कार्डधारी मजदूर हैं। इनमें 40458 जॉब कार्डधारी प्रवासी मजदूर हैं लेकिन अभी 40 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जिनमें मनरेगा के तहत काम ही शुरू नहीं किया गया। 23228 मजदूरों को ही मनरेगा के तहत काम मिल सका है अभी भी 17230 मनरेगा में दर्ज प्रवासी श्रमिकों को काम की तलाश है। हलांकि जिलाधिकारी संजीव सिंह ने मनरेगा के तहत हर ग्राम पंचायत पर काम शुरु करा प्रवासियों को हर हाल में काम देने के निर्देश दे रखे हैं लेकिन बड़ी तादाद में प्रवासी श्रमिक अभी भी काम से दूर है जिसके चलते उन्हें दो वक्त की रोटी के लाले पड़ रहे हैं। काम की तलाश में कई मजदूरों को शहर व कस्बों की ओर रुख करना पड़ रहा है।
राजस्थान में सियासी संकट के बीच 2 विधायकों की तबीयत बिगड़ी
जिले के ऐरायां विकासखंड में 56 ग्राम पंचायत ऐसी है जहां प्रवासी मजदूर आए हैं लेकिन अभी भी 7 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम ही शुरू नहीं किया गया।यहां 3854 प्रवासियों के सापेक्ष केवल 2400 श्रमिकों को ही काम दिया जा सका है। अमौली विकासखंड की 52 ग्राम पंचायतों में 2282 प्रवासी श्रमिक पंजीकृत हैं यहां सभी श्रमिकों को काम तो दिया गया है लेकिन उतना काम नहीं मिल पा रहा है जिससे उनके घरों का चूल्हा दोनों वक्त जल सके।
असोथर विकासखंड की 47 ग्राम पंचायतों में 3633 प्रवासी श्रमिक अपने वतन को लौट कर आए हैं लेकिन 2985 मजदूर ही मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। बहुआ विकास खंड की 59 ग्राम पंचायतों में 2643 प्रवासी मजदूर पंजीकृत हुए हैं इनमें अभी 13 ग्राम पंचायतें ऐसी है जहां मनरेगा के तहत काम ही नहीं हो रहा। इसी का नतीजा है कि 1503 प्रवासियों को ही यहां काम दिया जा रहा है।