राम मंदिर मामले में विशेष पीठ गठन की मांग…
बलिया — सुप्रीमकोर्ट में राममंदिर बाबरी मस्जिद विवाद में राममंदिर के पक्षकार महंत धर्मदास के वकील एवं पूर्व जज वीरेन्द्र चौबे ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है
जिसके तहत मंदिर मस्जिद विवाद की सुनवाई के लिए विशेष पीठ के लिए गठन और इस पीठ से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को अलग रखने की मांग की गई है । साथ ही 25 नवम्बर को अयोध्या में होने वाली सर्व धर्म सभा को विश्व हिन्दू परिषद का राजनैतिक खेल बताया ।
जहां एक तरफ अयोध्या विवाद को लेकर सर्व धर्म सभा का आयोजन हो रहा है वही सुप्रीमकोर्ट में राममंदिर बाबरी मस्जिद विवाद में राममंदिर के पक्षकार महंत धर्मदास के वकील एवं पूर्व जज वीरेन्द्र चौबे ने बड़ा बयान देते हुए मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों पर गंभीर आरोप लाते हुए कहा है कि न्यायाधीश जानबूझकर फैसला सुनाना नहीं चाहते लिहाजा तारीख पर तारीख देकर मामले को लंबित किया जा है । वकील वीरेन्द्र चौबे का कहना है की राम मंदिर मामले की सुनवाई कर रहे न्यायधिशो का बर्ताव भी अच्छा नहीं है लिहाजा मुस्लिम पक्षकार मोहम्मद इक़बाल अंसारी और राममंदिर पक्षकार महंत धर्मदास ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है जिसके जरिये मामले की सुनवाई के लिए विशेष पीठ बनाये जाने की मांग की गई है।
अयोध्या मामले में न्यायपालिका पर गंभीर सवाल खड़ा करते हुए कहा की 70 साल बाद भी अगर न्यायपालिका फैसला नहीं सूना पा रही है तो न्यायपालिका पर भरोसा कौन करेगा । वीरेन्द्र चौबे ने 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के लिए न्यायपालिका को जिम्मेदार बताते कहा की अगर न्यायपालिका समयसीमा में फैसला सूना देती तो क़ानून व्यवस्था नहीं बिगड़ती।
वीरेन्द्र चौबे ने विश्व हिन्दू परिषद् पर अयोध्या मामले का राजनीतीकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा की जिस संस्था के खिलाफ हज़ारों करोड़ रूपये का गबन करने का आरोप हो उसका राम मंदिर से क्या लेना देना। वही अयोध्या में 25 नवम्बर को होने वाली धर्म सभा को विहीपी का खेल बताया। वीरेंद्र चौबे ने कहा की राम मंदिर का निर्माण भाजपा, शिव सेना और विश्व हिन्दू परिषद् नहीं बल्कि अखाड़ा परिषद करेगी क्योंकि राम लला के सेवक और पुजारी संत सामज है ।
वकील वीरेन्द्र चौबे ने दावा किया की विवादित जमीन का मालिकाना हक ना वकस बोर्ड के पास है ना निर्मोही अखाड़े के पास लिहाजा जो तथ्य एसआई ने खुदाई में रिपोर्ट के आधार पर दिया जिसके मुताबिक़ मंदिर के ऊपर मस्जिद का निर्माण किया गया है ऐसे में रामलला का ही पहला मालिका हक़ है।
(रिपोर्ट-मनोज चतुर्वेदी,बलिया)