आंबेडकर जयंती पर एक बार फिर ताकत दिखा सकते हैं दलित
लखनऊ — उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अपने आपको असहज समझ रहे दलित समुदाय का जो गुस्सा 2 अप्रैल को भारत बंद के मौके पर फूटा था उसे भले ही बलपूर्वक दबा दिया गया हो लेकिन विरोध की चिंगारी अभी भी अंदर ही अंदर धधक रही है।
वहीं 14 अप्रैल को अांबेडकर जयंती पर पूरे प्रदेश में खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर दलितों के ताकत प्रदर्शन की संभावना है। सूत्रों की माने तो प्रदेश सरकार व पुलिस प्रशासन किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए अलर्ट हो गई है।
गौरतलब है कि भाजपा सरकार के खिलाफ यद्यपि दलित विरोधी होने के आरोप उन तमाम राज्यों में लगाए जाते रहे हैं जहां उनकी सरकारें हैं। उत्तर प्रदेश में यह स्थिति और नाजुक है। दलित समर्थन से कई बार सत्ता में आ चुकी बहुजन समाज पार्टी दलितों के हर आंदोलन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से साथ देती रही है। 2 अप्रैल के प्रदर्शन में बसपा के अलावा दूसरी विरोधी पार्टियों के लोगों का भी समर्थन था। हिंसक आंदोलन के चलते प्रदेश के कई जिलों में वाहनों को जलाने तथा पुलिस पर हमले जैसी घटनाएं भी सामने आई थीं।
इस घटना के बाद दलित उपद्रवियों के साथ जिस तरह पुलिस प्रशासन सख्ती से पेश आ रहा है उससे दलितों में जहां एक ओर भय का माहौल है वहीं वे अपनी एक जुटता व ताकत का अहसास कराने के लिए एकजुट भी किेए जा रहे हैं। खासकर बसपा से जुड़े दलित नेता पर्दे के पीछे से अांबेडकर जयंती को इस बार जगह-जगह भव्य रूप में मनाने की तैयारी में लगे हैं।
यही नहीं आशंका यह भी है कि बड़ी संख्या में भीड़ जुटने के बाद उपद्रवियों द्वारा किसी भी तरह की अफवाह फैलाकर भीड़ को भड़काया जा सकता है। खुफिया रिपोर्ट तथा स्थानीय प्रशासन से मिली जानकारी के आधार पर मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली तथा आगरा जैसे क्षेत्रों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए गए है।