जन्माष्टमी पर कोरोना की मार, दही-हांडी उत्सव में नहीं बनी मानव श्रृंखलाएं
कोरोना वायरस का प्रकोप इस साल त्योहारों पर भी देखने को मिल रहा है
देश में फैले कोरोना वायरस का प्रकोप इस साल त्योहारों पर भी देखने को मिल रहा है. वहीं कृष्ण जन्माष्टमी पर भी कोरोना की मार देखने को मिली.दरअसल भागवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर देश भर में होने वाले दही हांडी उत्सव को पिछले सालों की तुलना में बेहद सादगी से मना रहे हैं.
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जन्माष्टमी बिना मानव श्रृंखला के मनाने का फैसला
कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर महाराष्ट्र में कई ‘दही-हांडी’ समूहों ने बुधवार को जन्माष्टमी का त्योहार सादगीपूर्वक ढंग से और बिना मानव श्रृंखला के मनाने का फैसला किया है. इसकी जगह पर ये मंडल रक्तदान शिविर लगाना और प्लास्टिक को हटाने जैसे स्वास्थ्य और सामाजिक हितों से जुड़े काम कर रहे हैं.
बता दें कि पिछले वर्षों में, दही हांडी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से मुंबई और पड़ोसी ठाणे में मनाया जाने वाला रंगारंग उत्सव होता था, जहां धार्मिक संस्थानों, राजनीतिक नेताओं और गोविंदा मंडलियों, जिनमें रंग-बिरंगे पोशाक पहने युवा शामिल होते थे.
सामाजिक दूरी और मास्क पहनना
इस उत्सव में भाग लेते थे. विभिन्न सामाजिक समूह भी कार्यक्रमों का आयोजन करते थे और उन समूहों को नकद पुरस्कार दिया जाता था जो ऊंचाई पर बंधे दही, छाछ के मिट्टी के घड़े बहु स्तरीय मानव पिरामिड बनाकर तोड़ने में सफल होते थे. लेकिन इस साल दही हांडी को सांकेतिक तरीके से तोड़ा जा रहा था, जिसमें सामाजिक दूरी और मास्क पहनना शामिल है.
दही-हांडी उत्सव समन्वय समिति के प्रमुख बाला पडेलकर ने कहा कि दही-हांडी इस बार केवल प्रतीकात्मक रूप से फोड़ी जाएंगी. इस समिति के तहत राज्य में 950 से अधिक ‘मंडल’ (समूह) हैं. सामान्य समय में इस पर्व पर ‘गोविंदाओं’ की मानव श्रृंखला बनाकर ऊंचाई पर एक रस्सी से बंधी दही-हांडी तक पहुंचा जाता है और उसे फोड़ा जाता है.
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