आस्था पर भारी कोरोनाः काशी की प्रसिद्ध गंगा आरती पर रोक
डीएम ने बताया कि, आरती पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। आरती एक निरंतरता की परंपरा है।
वाराणसीः कोरोना वायरस (Corona Ganga Aarti ) पूरी दुनिया में अपने पैर पसार चुका है। वहीं भारत में भी इस लाइलाज बीमारी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। संक्रमित लोगों में अधिकांश ऐसे हैं, जो विदेश से आए हैं या फिर ऐसे लोगों के संपर्क में आए हैं। अब कोरोना (Corona) आस्था पर भी भारी पड़ने लगा है। जहां वैष्णोदेवी मंदिर में दर्शनों पर रोक लगा दी गई वहीं काशी (Kashi) में होने वाली प्रसिद्ध गांगा आरती पर भी रोक लगा दी गई है ।
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दरअसल उत्तर प्रदेश के वाराणसी में होने वाले गंगा आरती (Corona Ganga Aarti) में अब आम लोग शामिल नहीं हो सकेंगे। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला प्रशासन व गंगा सेवा निधि ने यह निर्णय लिया है। गंगा सेवा निधि ने भी प्रशासन के इस निर्णय को मान लिया है। संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने कहा- दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की दैनिक आरती का स्वरुप सांकेतिक किया गया है। इस परंपरा का निवर्हन 31 मार्च किया जाएगा।
1990 से लगातार हो रही आरती
बता दें कि बनारस के दशाश्वमेध घाट पर हर दिन गंगा सेवा निधि की ओर से मां गंगा की दैनिक आरती होती है। यह सिलसिला साल 1990 से अनवरत चल रहा है। संस्था अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि, शुरुआत में यहां गंगा आरती एक व्यक्ति व दो कन्याएं ऋद्धि-सिद्धि करती थी। आरती का कार्यक्रम पिता सतेंद्र मिश्रा ने शुरू किया था। अब आरती का स्वरुप बदल चुका है। सात या पांच पंडितों द्वारा आरती होती है। हर दिन हजारों भारतीय व विदेशी इसमें शामिल होते हैं। बाढ़ के समय घाटों पर पानी भर जाता है तो ऊंचे स्थान से मां गंगा की आरती की जाती है।
आरती का हिस्सा नहीं होगी आम जनता
वाराणसी के डीएम कौशलराज शर्मा ने बताया कि, गंगा आरती पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। आरती एक निरंतरता की परंपरा है। इसे साधारण या छोटे रुप में भी किया जा सकता है। इसमें सार्वजनिक भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आरती के अलावा कोई भी आम जनता इसमें भाग नहीं लेगी।
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