आजमगढ़ — उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सियासत गरम होती दिख रही है. इसकी शुरुआत आजमगढ़ से हो गई है. कांग्रेस ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला करते हुए उन्हीं के गढ़ में ‘लापता’ होने का पोस्टर लगावार रहे है. दरअसल कांग्रेस, आजमगढ़ में भाजपा से अधिक सपा को अपना प्रतिद्वंदी मानती है. जबकि यह पोस्टर वार ऐसे समय में हुआ है जब सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई कार्रवाई को लेकर योगी सरकार चौतरफा घिरी हुई है.
जबकि कांग्रेस ने सरकार को घेरने के बजाय सीधे आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव को निशाना बनाया है. अब खुद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी 12 फरवरी को यहां पहुंच रही हैं और वे सीधे आंदोलनकारियों से मुलाकात करेंगी.
गौरतलब है कि बिलरियागंज नगर पंचायत के मौलाना जौहर अली पार्क में हाल ही में महिलाओं और बच्चों को आगे कर सीएए, एनआरसी के विरोध के नाम पर हिंसा भड़काने की कोशिश हुई थी. खुफिया रिपोर्ट जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की है. रिपोर्ट की मानें तो जिले को हिंदू-मुस्लिम दंगे की आग में झोंकने की साजिश की गयी थी. इस मामले में पुलिस ने उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना ताहिर मदनी सहित 35 नामजद और 100 से अधिक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. जबकि ताहिर मदनी सहित 19 लोगों को जेल भेज दिया गया है. वहीं उलेमा काउंसिल के युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष नूरूल होदा सहित तीन पर 25-25 हजार का ईनाम घोषित किया है.
पुलिस की इस कार्रवाई से पूरा विपक्ष नाराज है और लगातार सरकार और प्रशासन पर सवाल उठा रहा है, लेकिन आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव अब तक न तो जिले में पहुंचे है और ना ही इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट के जरिये इसे दमन की कार्रवाई जरूर बताया है. घटना के बाद से ही अखिलेश यादव कांग्रेस के निशाने पर हैं. ऐसे में अखिलेश की आजमगढ़ से दूरी और प्रियंका के वर्षों बाद आगमन ने लोगों की उत्सुकता बढ़ा दी है.