सूरत अग्निकांड के बाद भी नहीं चेत रहे कोचिंग सेंटर,देखिए खास रिपोर्ट…

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मेरठ — गुजरात के सूरत में कोचिंग सेंटर में आग लगने से बड़ा हादसा होने के बाद भी एजुकेशन हब मेरठ के कोचिंग सेंटर मानकों से दूर। जी हां हमारी टीम पहुंची रियलिटी चेक में मेरठ के कोचिंग सेंटर्स की सारी पोल खुल गई।

एजुकेशन के नाम पर युवाओं को लुभाने के लिए शहर भर को कोचिंग सेंटर्स के होर्डिंग्स से पाट दिया है और कोचिंग सेंटर अपने अपने प्रचार कर रहे हैं । लेकिन मोटा मुनाफा कमाने वाले कोचिंग सेंटर क्या शिक्षा के साथ-साथ युवाओं की सुरक्षा का भी ख्याल रखते हैं। यह जानने के लिए जब हमारी टीम पहुंची मेरठ के पीएल शर्मा रोड…

दरअसल पीएल शर्मा रोड मेरठ का एजुकेशन हब कहलाता है लेकिन यह क्या पीएल शर्मा रोड पर कदम रखते ही सबसे पहले अंग्रेजी शराब और बियर के ठेके से स्वागत हुआ और बराबर में थे यहां के बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर्स जबकि कोर्ट का आदेश भी है कि शिक्षण संस्थानों से लगभग 200 मीटर की दूरी पर ही वाइन शॉप नही खोली जा सकती है लेकिन यहां तो शायद अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांधी हुई है। स्टूडेंट्स जब पढ़ने आते हैं तो रास्ते में ठेके से होकर उनको गुजरना पड़ता है। 

बिल्कुल ठेके से ही सटे हुए इन कोचिंग सेंटर्स में जब हमारी टीम पहुंची तो यहां के युवाओं से बात की स्टूडेंट्स का कहना था कि गुजरात के हादसे के बाद वह सभी डरे हुए और सहमे हुए हैं और अब उनको भी अपने कोचिंग सेंटर में आते हुए डर लगता है क्योंकि यहां पर एक्जिट और एंट्री का सिर्फ एक ही रास्ता है और ना ही यहाँ पर कोई आपातकालीन द्वार बनाया गया है। जब हमने यहां के आधार कोचिंग संचालक पंकज सोम से बात की तो उनका भी कहना है कि आग लगने पर आग से निपटने के लिए भी उनके पास कोई यंत्र नहीं है। अभी तक फायर विभाग से कोई एनओसी तक नहीं मिली है।

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 लेकिन इस कोचिंग के संचालक पंकज सोम ने सजगता दिखाते हुए एक बड़ा फैसला लिया है जैसे ही उन्हें गुजरात के हादसे की खबर मिली तो सबसे पहले फायर ऑफिस जाकर एनओसी के लिए आवेदन किया है और बिल्डिंग मालिक से आपातकालीन द्वार बनाने की मांग की है । इसके अलावा उन्होंने एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि जब तक उनको फायर ब्रिगेड से एनओसी और कांपलेक्स मालिक से आपातकालीन द्वार नहीं मिलता तब तक वह कोचिंग सेंटर को बंद ही रखेंगे। चलिए आगे बढ़ते हैं और दिखाते हैं यहाँ के शिक्षा के बाजार के हालात। ये है फिज़िक्स क्लासेज जिसके संचालक हैं अंकुर कुमार लेकिन ये किस तरीके से नीचे बेसमेंट में कोचिंग सेंटर बनाया गया है आप भी देखिए।

बेसमेंट में बने इस कोचिंग सेंटर में किसकी लापरवाही है यह कहना भी मुश्किल इसलिए हो जाता है क्योंकि एमडीए ने कैसे इस भीड़भाड़ वाली जगह या इस बड़े बाजार में बेसमेंट की अनुमति दे दी वह भी कोचिंग के लिए, और शिक्षा जगत ने कैसे इनको यहां इंस्टीट्यूट खोलने के लिए अनुमति दे दी। कमियां तो सभी विभागों की है फिर भी इन संचालकों ने अपना मोटा मुनाफा कमाने के लिए या मोटा पैसा कमाने के लिए इस शिक्षा के बाजार को बिना मानक के कैसे चला रखा हैं।

यह देखिए दा ट्यूटर्स कोचिंग सेंटर जिसके ऊपर बिजली के तार के रूप में मौत लटक रही है यह मौत कभी भी किसी को भी अपने गले से लगा सकती है। यहां बिजली विभाग की भी बड़ी लापरवाही देखने के लिए मिली है। तीन तीन मंजिलें कोचिंग सेंटर जरूर बना दिए हैं लेकिन इन कोचिंग सेंटर्स में रास्ता सिर्फ एक है मानक पूरे ना होने की वजह से संचालक तो गुजरात की खबर सुनते ही अपने कोचिंग सेंटर्स का ताला लगाकर गायब है।

लेकिन सवाल यही बनता है कि अपनी जेब भरने के लिए जो लोग शिक्षा का बाजार चला रहे हैं, शिक्षा को मोटी मोटी रकम में बेच रहे हैं क्या उन लोगों का काम उन शिक्षार्थियों की सुरक्षा करना नहीं है।

वहीं मेरठ के डीएम अनिल धींगड़ा से बात की तो उनका कहना है कि फायर विभाग और मजिस्ट्रेट्स की कई टीम बना दी है और सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल्स सहित कोचिंग सेंटर पर छापेमारी के आदेश देकर वहां के मानक पूरे करने के निर्देश दिए हैं। और यदि किसी जगह सुरक्षा के मानक पूरे नहीं पाए जाते तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश भी दिए हैं।ॉ

(रिपोर्ट-प्रदीप शर्मा,मेरठ)

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