नोएडा जाकर सीएम योगी तोड़ेंगे यह ‘अंधविश्वास’…

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लखनऊ–उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लंबे समय से चले आ रहे एक अंधविश्वास को तोड़ने जा रहे हैं। इसके लिए वो 25 दिसंबर को नोएडा का दौरा करेंगे। दरअसल नोएडा को लेकर लोगों में यह अंधविश्वास है कि अगर उत्तर प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा का दौरा करता है, तो उसको कुर्सी गंवानी पड़ती है।

इसके चलते अखिलेश यादव और आखिरी बार मुख्यमंत्री रहने के दौरान मायावती ने यहां का दौरा करने से किनारा काटा था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ 25 दिसंबर को नोएडा जाकर 29 वर्ष से बने अंधविश्वास को तोड़ने की पहल करेंगे। 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर नोएडा के बॉटनिकल गार्डन से दक्षिण दिल्ली के कालिका जी मंदिर तक दिल्ली मेट्रों की मजेंटा लाइन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे। यह मेट्रो ड्राइवरलेस होगी। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शिरकत करेंगे। इससे पहले यह हौसला बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बतौर मुख्यमंत्री दिखाया था। बाद में उनकी भी कुर्सी नहीं बची थी। 

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नोएडा को लेकर अंधविश्वास तब जुड़ा जब कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और गोरखपुर के निवासी वीर बहादुर सिंह 23 जून 1988 को नोएडा गए। इसके अगले दिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उनको अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। यहीं से अंधविश्वास पनप गया कि जो भी नोएडा जाता है उसकी कुर्सी चली जाती है। वीर बहादुर सिंह के बाद नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मायावती से लेकर अखिलेश यादव तक मुख्यमंत्री बने लेकिन नोएडा सबको डराता रहा। राम मंदिर आंदोलन से निकले कल्याण सिंह भी राम के प्रताप पर भरोसा कर नोएडा की धरती पर बतौर मुख्यमंत्री कदम नहीं रख सके और न ही धर्मनिरपेक्षता के सियासत की दुहाई देने वाले मुलायम यहां ‘सिंह’ कलेजा दिखा सके। 

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सभी 75 जिलों का दौरा शुरू किया था। बावजूद इसके, योगी नोएडा नहीं गए। ऐसे में इस सियासी संत के ‘आत्मबल’ पर भी प्रश्न उठा कि वह भी नोएडा के अंधविश्वास को तोड़ने का साहस नहीं दिखाएंगे? हालांकि, अब योगी ने 25 दिसंबर को नोएडा के कार्यक्रम में शामिल होने की हामी भर इसका जवाब दे दिया है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ़ चंद्रमोहन का कहना है कि योगी अंधविश्वासों को नहीं मानते बल्कि उनके पीठ की परंपरा इसे तोड़ने की रही है। हालांकि, गोरखपुर के एक नेता की यात्रा से उपजे इस अंधविश्वास का ‘डर’ गोरखपुर के इस महंत के साथ खत्म होगा कि नहीं, इसके लिए इंतजार करना होगा। 

 

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