चाइनीज मछलियों का गंगा-यमुना सहित कई नदियों पर कब्जा

चीन की मछलियों का वर्चस्व बढ़ने के कारण देशी मछलियों की संख्या लगातार घटती जा रही है।

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पड़ोसी देश चीन की नापाक हरकतें भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं हैं। इलेक्ट्रानिक्स बाजार में हलचल मचाने के बाद अब चीन भारत की कई नदियों में कब्जा जमा लिया है। राष्ट्रीय नदी गंगा-यमुना समेत अन्य बड़ी नदियों में पिछले कुछ सालों में चीन की सर्वाहारी रोहू मछलियों (fishes) का वर्चस्व बढ़ने के कारण देशी मछलियों की संख्या लगातार घटती जा रही है।

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चीनी रोहू साल में दो बार प्रजनन करती है, वहीं भारत की देशी रोहू साल में एक बार प्रजनन करती हैं और मांसाहारी भी नहीं हैं। इसके चलते देशी रोहू समेत अन्य मछलियों (fishes) की संख्या तेजी से घट रही है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि मत्स्य विभाग को देशी मछलियों को बचाने के लिए अभियान चलाना पड़ा रहा है।

देशी मछलियों की तेजी से घट रही है संख्या

केंद्रीय अंतरस्थलीय मात्स्यकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. डीएन झा का कहना है कि चाइनीज रोहू 2002 से गंगा में आना शुरू हुईं। साल में दो बार प्रजनन के कारण इनकी संख्या तेजी से बढ़ी। 2012 में गंगा में इनकी संख्या 45 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। चाइनीज रोहू सर्वाहारी होती हैं। ऐसे में यह गंगा की पहचान कही जाने वाली रोहू, कतला, नयन और कालवासू के बच्चों को खाने लगीं। जिसके चलते इन देशी मछलियों (fishes) की संख्या गंगा समेत अन्य बड़ी नदियों में तेजी से कम होती जा रही है।

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हालांकि नमामि गंगे अभियान शुरू होने के बाद लगातार गंगा का जल कुछ हद तक साफ हुआ जिसके चलते चाइनीज रोहू की संख्या कुछ कम हुई है। मौजूदा समय में गंगा में चाइनीज रोहू की संख्या लगभग 39 प्रतिशत है। वहीं समय समय पर रैंचिंग के जरिए गंगा में रोहू और कतला के बीजों को छोड़ा जा रहा है ताकि इनकी संख्या बढ़ सके।

चाइनीज रोहू में नहीं है पौष्टिक तत्व

डॉ. डीएन झा ने बताया कि देशी रोहू में ओमेगा थ्री फैटी एसिड और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। बात करें चाइनीज रोहू की तो इसमें ओमेग्रा थ्री फैटी एसिड नहीं पाया जाता। हालांकि बाजार में चाइनीज रोहू तेजी से बिक रही है। इनका वजन तेजी से बढ़ता है,और अधिक मुनाफा कामने के लिए व्यापारी इनको तालाबों में पालते हैं।

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