रक्षाबंधन में भाइयों की कलाई पर सजेगी छिंद के पत्तों से बनी राखियां, जानें क्या है खासियत

0 271

नक्सल प्रभावित इलाके में महिलाएं अपने आजीविका छिंद के पत्तों से बड़े पैमाने पर राखियों का निर्माण कर रही है। इस राखी की विशेषता यह है कि छिंद के पेड़ों के पत्तों को महिलाएं लेकर आती हैं, जिसे सूखाकर इसके पत्तों से बुनाई कर राखी तैयार की जाती है।

ये भी पढ़ें..अंतरिक्ष विज्ञान के जनक डॉ. विक्रम साराभाई ने जो किया वह बहुत ही सराहनीय है

इन खूबसूरत राखियां की दंतेवाड़ा के आलावा दूसरे जिलों से भी मांग बढ़ रही है। इसके लिए जिला प्रशासन भी इन स्व सहायता समूह की मदद कर रहा है।

ये है खासियत

दरअसल हम बात कर रहे है छत्तीगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की, यहां ग्राम झोड़ियाबाड़म महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से छिंद के पत्तों से राखी बनाना सिखाया गया था। जिसके बाद पिछले वर्ष से ही इस समूह की महिलाओं ने छिंद के पत्तों से राखियां बनाना शुरू किया था।

Related News
1 of 1,063

25 से 30 हजार रुपये तक का मुनाफा कमा रही महिलाएं

अब ये महिला अपनी आजीविकी का लिए इन राखियों को बेचकर लगभग 25 से 30 हजार रुपये का मुनाफा कमा रही हैं। यही नहीं इन महिलाओं को राखी बेचने के लिए जिला प्रशासन द्वारा स्टॉल लगाने की जगह दी गई है, जिसके माध्यम से वे बाजार में अपनी राखी को ग्राहकों तक पंहुचा सके।

ये भी पढ़ें..14 साल की नौकरानी से मालकिन की दरिंदगी, मेहमानों से जबरन बनवाती थी संबंध, प्रेग्नेंट होने पर खुला राज…

ये भी पढ़ें..पॉर्न फिल्में देख छोटे भाई से संबंध बनाने लगी 9वीं की छात्रा, प्रेग्नेंट होने पर खुला राज, सदमे में परिजन…

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं…)

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...