…तो इसलिए छठ पर्व पर पानी में उतरकर दिया जाता है अर्घ्य
न्यूज डेस्क–छठ पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार बिहार, उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में और नेपाल के भी कुछ भागों में मनाया जाता है।
यह त्योहार कार्तिका महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू होता है। ये त्योहार चार दिनों तक चलता है। छठ पर्व सूर्य देवता को समर्पित है। छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होती है और समापन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को। छठ व्रती लगातार 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं। इस व्रत में शुद्धता पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है, जिससे इसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है। इस बार छठ का यह पर्व 31 अक्टूबर को नहाय-खाय से शुरू होगा और 3 नवंबर को समाप्त होगा।
इसका कारण यह माना जाता है कि इन दिनों भगवान विष्णु जल में रहते हैं। सूर्य को भगवान विष्णु का प्रत्यक्ष रूप माना जाता है, इसलिए इन्हें सूर्य नारायण भी कहते हैं। सूर्य षष्ठी पर्व में नदी या तालाब में कमर तक प्रवेश करके उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इससे भगवान विष्णु के सूर्य रूप और जल में स्थित विष्णु के अप्रत्यक्ष रूप की पूजा एक साथ हो जाती है। इसलिए कार्तिक मास की सूर्य षष्ठी व्रत का विशेष महत्व है।