Chandrayan-3 Launch: बादलों को चीरते हुए चांद पर इतिहास रचने निकला चंद्रयान-3
Chandrayan-3 Launch: इसरो के महत्वकांक्षी मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) शुक्रवार को लॉन्च हो गया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इस इसे दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया गया। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ यह मिशन करीब 42 दिनों की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा। ‘चंद्रयान-3’ को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया था। इसे पहले GSLV MK-III के नाम से जाना जाता था। इसरो ने इसी रॉकेट से चंद्रयान-2 लॉन्च किया था।
लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, ”भारत को बधाई, चंद्रयान ने चंद्रमा पर अपनी यात्रा शुरू कर दी है।” कर दिया है। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान 3 को अपने साथ ले जाने वाले रॉकेट LVM3-M4 से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है।
बता दें कि चंद्रयान-3 का लक्ष्य पृथ्वी से चंद्रमा तक 384,000 किमी की दूरी केवल 40 से 42 दिनों में तय करना है। एक बार लॉन्च होने के बाद, रॉकेट इसे पृथ्वी के चारों ओर बाहरी कक्षा में ले जाएगा। 14 जुलाई 2023 को लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर 45 से 50 दिन के अंदर सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे। इस दौरान 10 चरणों में मिशन को पूरा किया जाएगा।
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इस यात्रा के दौरान रॉकेट 36,000 किमी की दूरी तय करेगा, जिसे पूरा करने में लगभग 16 मिनट लग सकते है। चंद्रयान-2 की तरह चंद्रयान-3 में भी एक लैंडर और एक रोवर होगा, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि पिछले मिशन का ऑर्बिटर अभी भी प्रभावी ढंग से अंतरिक्ष में काम कर रहा है। चंद्रयान-3 23-24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला है। हालाँकि, यह समयरेखा चंद्रमा पर सूर्योदय की स्थिति के आधार पर बदल सकती है। अगर सूर्योदय में देरी हुई तो इसरो लैंडिंग का समय सितंबर तक बढ़ा सकता है।
#WATCH | Sriharikota: People watch as the countdown for the launch of the Chandrayaan 3, India's 3rd lunar exploration mission begins. Launch is scheduled for 2:35 pm IST pic.twitter.com/WuuVmTLoaa
— ANI (@ANI) July 14, 2023
चंद्रयान-3 इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन
चंद्रयान-3 भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन है, क्योंकि यह पिछले चंद्र अभियानों से प्राप्त सफलताओं और ज्ञान को आगे बढ़ाना चाहता है। इस परियोजना का उद्देश्य चंद्रमा की सतह का और अधिक अन्वेषण करना, वैज्ञानिक प्रयोग करना और पृथ्वी के खगोलीय पड़ोसी के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है। लैंडर और रोवर के घटक मूल्यवान डेटा एकत्र करने और उसे पृथ्वी पर वापस भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इसरो का Chandrayan-3 मिशन भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में एक और प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। जैसे-जैसे उल्टी गिनती आगे बढ़ रही है, दुनिया नई खोजों और उपलब्धियों की उम्मीद के साथ चंद्रयान-3 के लॉन्च का बेसब्री से इंतजार कर रही है। बता दें कि इससे पहले दुनिया के चार देश चांद पर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास कर चुके है। कुल मिलाकर 38 बार सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया गया है।
LVM-3 रॉकेट से भेजा गया चंद्रयान -3
बता दें कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए इसरो LVM-3 लॉन्चर यानी रॉकेट का इस्तेमाल किया है। यह भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ने में सक्षम है। यह LVM-3 रॉकेट की चौथी उड़ान है। यह 43.5 मीटर यानी करीब 143 फीट ऊंचा है। इसका वजन 642 टन है। यह चंद्रयान-3 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में छोड़ देगा। यानी 170×36500 किलोमीटर की अंडकार कक्षा से पहले इसे GSLV-MK3 कहा जाता था, जिसके छह सफल प्रक्षेपण हो चुके हैं।
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