चैत्र नवरात्रि कल से, देखें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

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न्यूज डेस्क– चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 18 मार्च से हिंदू नवसंवत्सर शुरू होगा। चैत्र नवरात्र पर घटस्थापना भी इस दिन की जाएगी। इस बार भी नवरात्र 8 दिन के होंगे।नवमी तिथि के क्षय होने की वजह से ऐसा होगा। अष्टमी व नवमी तिथि एक ही दिन 25 मार्च को है। इसी दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्रा पूजा अनुष्ठान किए जाएंगे। 

नारद पुराण के अनुसार हवन व कन्या पूजा के बिना नवरात्रा की पूजा अधूरी मानी जाती है। पिछले चार साल से नवरात्रा का पर्व आठ दिन में ही संपन्न हो रहा है। नवरात्रा में सिर्फ खाने का उपवास ही नहीं, बल्कि इंद्रियों पर भी पूर्ण नियंत्रण रखने का प्रयास कराना चाहिए।

घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त 18 मार्च को सुबह 12.19 से दोपहर 1.07 बजे तक का रहेगा। घटस्थापना का अभिजीत दूसरा मुहूर्त चर, लाभ, अमृत व अभिजित की चौघडिय़ा में सुबह 8.12 से दोपहर 12.43 बजे तक रहेगा। 

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दोपहर 2.13 से 3.43 बजे तक शुभ की चौघडिय़ा रहेगी। शहर के दुर्गा मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में अभी से नवरात्रा महोत्सव को मनाए जाने की तैयारियां पूरी की जा रही हैं। प्रतिपदा 17 मार्च को शाम 6.42 बजे शुरू हो जाएगी। लेकिन घट स्थापना एवं अन्य पूजा अनुष्ठान सूर्योदय के बाद 18 मार्च को ही किए जाएंगे। उनके अनुसार नवरात्रि में सुबह व शाम मां दुर्गा की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। मनुष्य के सभी संकट भी दूर हो जाते है। 

इस तरह रखे जाएंगे व्रत:

17 को शाम 6.41 बजे तक अमावस्या का मान रहेगा। इसके बाद प्रतिपदा लगेगी, जो 18 मार्च की उदय तिथि में रहेगी। इसलिए नवरात्रा का पहला व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा। द्वितीय 19 को तृतीय 20 को, चतुर्थी 21 को, पंचमी 22 को, षष्टी 23 को, सप्तमी 24 को तथा 25 मार्च को अष्टमी सुबह 8.03 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी लग जाएगी। 25 मार्च को रामजन्म अभिजित काल में मनाया जाएगा। 25 को नवमी को सूर्योदय का मान नहीं होने से नवमी का क्षय होगा।

ऐसे करें घट स्थापना:

मिट्टी से वेदी बनाकर हरियाली के प्रतीक जौं बोएं। इसके बाद सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बनाएं। पूजा गृह में विधि विधान के साथ कलश स्थापित करें। फिर श्रीफल, गंगाजल, चंदन, सुपारी, पान, पंचमेवा, पंचामृत आदि से मां दुर्गा की अराधना करें।

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