बसंत पंचमी की इस परम्परा को बचा रखा है ब्रजवासियों ने…
मथुरा– इस बार 22 जनवरी को इस त्यौहार का आगमन हुआ है। जिसके मद्देनज़र पूरे देश में बसंती छटा छा गयी है। पूरे देश में जगह – जगह हवन – पूजन के कार्यक्रम हो रहे हैं। खासकर सभी विद्यालयों में इस पर्व को लेकर बच्चों में ख़ासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
होली शुरू होने में भले ही अभी 40 दिन का वक़्त हो, लेकिन बृज में अभी से ही होली की शुरुआत हो चुकी है। बसंत-पंचमी के दिन वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध बाँकेबिहारी मंदिर में भी जमकर गुलाल उड़ाया जाता है। परंपरा के अनुसार आज के दिन मंदिर में श्रृंगार आरती के बाद सबसे पहले मंदिर के सेवायत पुजारी भगवान बाँके बिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व की विधिवत शुरुआत करते है और उसके बाद इस पल के साक्षी बने मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं पर सेवायत पुजारियों द्वारा जमकर बसंती गुलाल उड़ाया जाता है। मंदिर में होली की विधिवत शुरुआत होने के कुछ देर बाद ही प्रांगण में माहौल बेहद खुशनुमा हो जाता है और यहाँ सिर्फ गुलाल ही गुलाल नजर आता है। प्रांगण में मौजूद श्रद्धालू भी भगवान बाँकेबिहारी के साथ होली खेलने के इस पल का खूब आनंद उठाते है और एक-दूसरे पर भी जमकर गुलाल लगाते है। बसंत-पंचमी के दिन से ही मंदिरों में होली खेलने की शुरुआत होने के साथ ही बृज में होली का डाँढ़ा गाढ़ने की भी परम्परा रही है। इसीलिए आज ही के दिन यहाँ जगह-जगह पूजा-अर्चना करने के साथ होलिका बनाने की भी शुरूआत हो जाती है।
रिपोर्ट – सुरेश सैनी , मथुरा