बीपीएल परिवार को थमाया 9.85 लाख का बिल और मरीज को बना लिया बंधक

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रांची– झारखंड के सरकारी अस्पताल तो संवेदनहीन हैं ही, अब निजी अस्पताल भी गरीबों को लूटने में लगे हैं. यहां हालत यह हैं कि यदि मरीज पैसे देने में असमर्थ हो जाये, तो उसे अघोषित रूप से बंधक बना लिया जाता है . 

 

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ओरमांझी स्थित मेदांता अस्पताल ने करीब एक महीने से लातेहार जिला के एक किसान को बंधक बना रखा है. अपनी गरीबी का हवाला देकर किसान के परिजनों ने मेदांता अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से मरीज को छुट्टी देने की अपील की, तो अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें झूठे केस में फंसाने की धमकी दी. अब परिजनों ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से गुहार लगायी है कि अस्पताल के चंगुल से उन्हें मुक्त कराया जाये. उनके मरीज को अस्पताल से छुट्टी दिला दी जाये.

जानकारी के अनुसार, लातेहार जिला के ग्राम चोपे (पोस्ट मुरुप) के मोहम्मद अयूब अली उर्फ अयूब मियां (75) को करीब दो महीने पहले रांची के इरबा स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. परिजनों के अनुसार, उस समय डॉक्टर ने कुल डेढ़ लाख रुपये का खर्च बताया था. परिजनों ने जमीन बेचकर व गिरवी रखकर किश्तों में डेढ़ लाख रुपये जमा करा दिये. परिजन परेशान हैं कि खाने को लाले हैं. खेत भी बेच दिये. अब इतने रुपये कहां से लायेंगे. लेकिन, अस्पताल प्रबंधन उनकी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं. परिजनों का कहना है कि यदि मेदांता ने अयूब को डिस्चार्ज नहीं किया, तो वे उसे अस्पताल में ही छोड़कर गांव चले जायेंगे.अयूब के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में भी लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. 

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में परिजनों ने कहा है कि नर्स की गलती के कारण मरीज का अत्यधिक रक्तस्राव हो गया. फलस्वरूप छह यूनिट ब्लड भी चढ़ाना पड़ा. इसके लिए डोनर की व्यवस्था करने के बाद भी मेदांता के ब्लड बैंक में परिजनों से 15 हजार रुपये वसूले गये.अयूब के बेटे मोहम्मद इमदाद ने बताया कि उनके पिता ठीक-ठाक थे. उन्हें रेग्युलर चेकअप के लिए लाये थे. पहले भी लाते रहे हैं. अचानक उनके पिता उस दिन बेहोश हो गये. डॉक्टरों  ने जांच कर बताया कि इनके सिर में पानी है. ऑपरेशन करना पड़ेगा. नहीं करने पर उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली जायेगी.

इमदाद ने खर्च के बारे में पूछा, तो उन्हें बताया गया कि 1.25 लाख रुपये खर्च पड़ेंगे. इसके बाद उन्होंने पिता को भर्ती करवा दिया. ऑपरेशन सफल रहा. बाद में एक नर्स ने ऑक्सीजन का पाइप गलत जगह लगा दिया. पूरा ऑक्सीजन अयूब के शरीर में फैल गया और उनका शरीर फूल गया. डॉक्टर को बताया, तो उन्हें फिर से ऑपरेशन थियेटर में ले गये. इसके बाद बिल इतना बढ़ गया. हालाँकि 3 फरवरी को मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखकर मदद की अपील की, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला. सोशल मीडिया में यह खबर वायरल हो रही है। 

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