सीमा पर तनाव के बीच भारत सरकार ने चीनी कंपनी को सौंप दिया बड़ी परियोजना का ठेका
नई दिल्ली–लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में चीन Border की सेना भारत के हिस्से पर कब्जा करती जा रही है। जिसे लेकर दोनों देशों के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हैं। जिसे दूर करने के लिए भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता जारी है।
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चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए मोदी के समर्थक चीन में बने सामान का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। इतना ही नहीं चीन के साथ तनावपूर्ण संबंध और देश में व्याप्त कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए आत्मनिर्भर बनने और वोकल फोर वोकल का नारा दिया है।
स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के इस फैसले का किया विरोध:
लेकिन वास्तव में भारत अपनी विकास संबंधी परियोजनाओं के लिए चीन पर किस हद तक निर्भर है,इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मोदी सरकार ने दिल्ली- मेरठ Border के बीच चलने वाली हाई स्पीड ट्रेन की परियोजना के काम का ठेका चीन की कंपनी को देने का फैसला ले लिया है। कांग्रेस और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।
सीमा पर चीन के साथ जारी तनाव और कोरोना संकट से निपटने के लिए लागू किए गए लाकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की दयनीय स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए देशवासियों से विदेशी वस्तुएं खरीदने के बजाय देश में बनी वस्तुएं अपनाने के साथ ही आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करने की अपील की थी। जिसके बाद से मोदी समर्थकों ने सोशल मीडिया पर चीन में बनी वस्तुओं का बहिष्कार करने का अभियान छेड़ दिया है।
चीनी कंपनी ने सबसे कम राशि का टेंडर भरा:
इस सबके बीच ऐसी जानकारी सामने आई है, जिसने मोदी समर्थकों के साथ ही आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच को भी सकते में डाल दिया है। मोदी समर्थक तो भले ही कुछ नहीं कर सकते। मगर कांग्रेस और स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक Border दिल्ली- मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रोजेक्ट के तहत 5.6 किलोमीटर का भूमिगत मार्ग बनाने के काम का ठेका चीन की शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को देने का फैसला लिया गया है। इस काम के लिए चीनी कंपनी ने सबसे कम राशि का टेंडर भरा था।
उसने यह काम 1100 करोड़ रुपए में पूरा करने की पेशकश की है। इस काम के लिए जारी किए गए टेंडर भारत सहित अन्य देशों की कंपनियों ने भी भरे थे। मगर काम करने के लिए सबसे कम राशि चीन की कंपनी ने ही मांगी है। जिसे देखते हुए सरकार ने इस कंपनी को ठेका देने का फैसला लिया है।स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्वनी महाजन ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर चीन की कंपनी को दिया गया ठेका रद्द कर किसी भारतीय कंपनी को देने की मांग की है।
विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच चीन की कंपनी को ठेका दिए जाने का विरोध किया है ।