कहीं BJP को उल्टा न पड़ जाए नोटबंदी का जश्न

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नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच 8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे हो रहे हैं। इस दिन को विपक्ष ने काला दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है तो भाजपा उनके जवाब में कालाधन विरोधी दिवस के तौर पर  जश्न करने की तैयारी में है।

 

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लेकिन नोटबंदी को लेकर जो माहौल बनता दिख रहा है, चुनावी बेला में कहीं  जश्न भाजपा के लिए उल्टा न पड़ जाए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट को प्रचलन से बाहर करने की घोषणा की थी। नोटबंदी को शुरुआत में जिस तरह से आम लोगों का समर्थन मिला था, अब उसके परिणाम सामने आने के बाद नाराजगी नजर आने लगी है।

खासकर नौकरीपेशा, व्यापारी, कारोबारी और छोटे-मझोले उद्यमी। नोटबंदी के बाद एक तरह की मंदी का दौर है। ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि तमाम रोजगार खत्म हो रहे हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है और कई छोटे-मझोले उद्योग चौपट हो गए हैं। नोटबंदी से पहले केंद्र सरकार ने 7.5 फीसदी जीडीपी लक्ष्य रखा था, वास्तविक आंकड़ा इस साल जब आया तो साढ़े पांच फीसद निकला।

 

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