भाजपा नेता ने दारोगा पर तानी रिवॉल्वर, कहा- ‘फुंकवा दूंगा थाना’
न्यूज डेस्क — 14 वर्षों तक वनवास काटकर उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर सत्ता का नशा अब सिर चढ़ कर बोल रहा है. बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ थाना क्षेत्र में एक दबंग भाजपा नेता ने पुलिसवाले के साथ सरेआम अभद्रता करते हुए उस पर रिवॉल्वर तान दी.
बता दें कि भाजपा के पूर्व विधायक सुंदर लाल दीक्षित के बेटे पंकज दीक्षित पर आरोप है कि किसी दूसरे की जमीन पर कब्जा कराने के लिए एसआई शीतला प्रसाद मिश्रा पर रिवॉल्वर तानकर खुलेआम थाने को फूंकने की धमकी दी.
इस बारे में जब आरोपी पंकज दीक्षित से बात की गई तो उन्होंने इस घटना से साफ इनकार किया.वहीं उन्होंने सत्ता की धौंस दिखाते हुए कहा कि मैं बीजेपी का नगर अध्यक्ष हूं. मेरी एक आवाज पर सैकड़ों कार्यकर्ता आकर खड़े हो जाएंगे. मैं छोटे से काम के लिए दारोगा पर रिवाल्वर क्यों तानूंगा. पंकज ने सारा आरोप दारोगा शीतला प्रसाद मिश्रा पर मढ़ दिया. उन्होंने कहा कि शीतला प्रसाद मिश्रा ने दूसरे पक्ष से पैसे लेकर मामले में एकतरफा कार्रवाई की है. इसलिए हमने उनके खिलाफ आवाज उठाई है. मेरे ऊपर लगाए गए सारे आरोप गलत हैं.
ये है पूरा मामला
दरअसल दारोगा शीतला प्रसाद मिश्रा का कहना है कि हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के दौलतपुर गांव के एक निवासी ने तहरीर दी थी कि उसकी जमीन पर जबरन कब्जा किया जा रहा है. इसकी जांच के लिए मैं मौके पर गया था. जब मैं वहां पहुंचा तो वहां बीजेपी के पूर्व विधायक सुंदरलाल दीक्षित के बेटे पंकज दीक्षित पहले से मौजूद थे. पंकज दीक्षित खुद बैठकर दूसरे की जमीन पर निर्माण कार्य करा रहे थे.
जब मैंने वहां निर्माण कार्य रोकने के लिए कहा तो उस मकान मालिक ने मेरे ऊपर मारपीट का फर्जी आरोप लगाकर नाटक शुरू कर दिया. जिसके बाद वह हैदरगढ़ सीएचसी में भर्ती हो गया.बाद उसे हैदरगढ़ सीएचसी से बाराबंकी जिला अस्पताल रेफर करा दिया. जब मैं पूरे मामले की जानकारी सीओ हैदरगढ़ को देने गया तो पंकज दीक्षित ने वहां पहुंचकर मेरे साथ अभद्रता की और मेरे ऊपर पिस्तौल तान दी. जिसके बाद सीओ हैदरगढ़ ने मामले में बीच बचाव किया.
दारोगा ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि पुलिस विभाग में लगभग 28 साल की मेरी नौकरी हो चुकी है लेकिन इन लोगों की वजह से अब नौकरी करना मुश्किल हो रहा है. हर मामले की तफ्तीश में यह लोग हमेशा दबाव बनाते हैं, जिससे पुलिसिया कार्रवाई प्रभावित होती है और पीड़ित को इंसाफ नहीं मिल पाता है.