परम्परा और दबंगई के बीच कैसे चढ़ेगी दलित की बारात !

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हाथरस — आजाद भारत में ऐसा भी एक गांव है जहां दलित लोग दबंगों की गली और घरों के आगे से बारात चढ़ाकर नहीं ले जा सकते। ऐसा तब है जब देश का राष्ट्रपति खुद दलित वर्ग से तलुक रखता है। ऐसा ताज़ा मामला यूपी के कासगंज जिले के निजामपुर गांव से सामने आया है। जहां हाथरस जिले का वर पक्ष बारात ले जाने के लिए शासन प्रशासन के आगे एड़ियां रगड़ रहा है। 

उम्मीद न बंधती देखकर अब उसने न्यायालय की चौखट पर दस्तक दी है। हालांकि गांव की परम्परा पर वर पक्ष को राजी करने में नाकाम कासगंज जिला प्रशासन ने जाँच में लड़की को नाबालिंग साबित करने वाले दस्तावेज हासिल कर लिए है। लेकिन इसको भी चुनौती दे रहा वर पक्ष अड़ा है कि भले ही दो महीने बाद लड़की के बालिंग होने पर शादी हो पर बारात तो पूरे गांव में धूमधाम से आएगी।

आपको बतादें कि यूपी के हाथरस जिले के थाना हसायन क्षेत्र के गांव बसई बाबस के संजय कुमार जाटव का रिश्ता करीब छः महीने पहिले सूबे के ही कासगंज जिले की कासगंज कोतवाली के गांव निजामपुर के सत्यपाल की बेटी शीतल के साथ तय हुआ था। शादी 20 अप्रैल को होना तय हुई । लेकिन समस्या तब पैदा हो गयी जब वर पक्ष ने बारात घर तक लाने के लिए बैंडबाजे करने को कहा। निजामपुर में जाटव कम है और ठाकुर ज्यादा है।संजय की माने तो वधू पक्ष ने उन्हें अपने गांव की परम्परा का हवाला देकर समझाया कि उनके पूरे गांव में बारात नहीं चढ़ेगी।

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तो संजय से रहा नहीं गया और उसने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल से लेकर नीचे से ऊपर तमाम स्तर पर मामले की शिकायत की। उसकी माने तो जाँच पड़ताल में प्रशासन की यह दलील सामने आयी कि यदि उसकी बारात पूरे गांव में चढ़ती है तो अप्रिय घटना हो सकती है। संजय का कहना है कि उसकी बारात की चढ़त को रोकने के लिए कासगंज के डीएम ने नया फार्मूला तैयार किया है। जिसमे शीतल नाबालिंग बताई जा रही है और उसकी उम्र कक्षा पांच की टीसी के हिसाब से 17 साल 10 महीने बताई जा रही है। इतने पर भी संजय अड़ा हुआ है और कह रहा है कि दो महीने बाद ही सही जब शादी होगी तो उसकी बारात पूरे गांव में निकलेगी। संजय के गांव के लोग भी उसके पक्ष में खड़े है और तो और कुछ गांव वाले तो बारात में 50 घोड़े तथा एक हाथी ले जाने की भी कह रहे है। 

उधर इस शादी के लिए तय वधू शीतल और उसके परिजनों का कहना है कि वे पूरे गांव में बारात चढ़ाना चाहते है लेकिन गांव में ठाकुर समाज के लोग दलित समाज के लोगों की बारात नहीं चढ़ने देते है। बारात चढ़ाने की कोशिश पर उन्होंने उनके खेतों के लिए पानी देना भी बंद कर दिया है। यही नहीं शीतल और उसके पिता उसकी उम्र २० साल बता रहे है। शीतल के पिता का कहना है कि वे दबंगों का सामना करने को तैयार है इसके लिए शीतल के बालिंग होने का इंतजार करना पड़ा तो करेंगे। लेकिन गांव के ठाकुर परम्परा का  हवाला देकर अपने घरों के आगे से जाटवों की बारात न चढ़ने देने पर अड़े है। 

कासगंज जिले के एएसपी का कहना है कि प्रकरण की जाँच की जा रही है। प्रथम दृष्टया लड़की नाबालिंग मिली है। उनका कहना तो यह भी है कि मामले में वर पक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है ऐसे में इसमें जो कोर्ट का निर्णय होगा वैसी वैधानिक कार्यवाही होगी। मामले में कासगंज प्रशासन को लड़की के नाबालिंग मिलने से भले थोड़े समय राहत मिली हो लेकिन इससे यह मसला हल नहीं हुआ है। शासन प्रशासन को इसे हल करना चाहिए। 

(रिपोेर्ट- सूरज मौर्या-हाथरस)   

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