Ayodhya Deepotsav: दीपोत्सव में बना वर्ल्ड रिकार्ड, 17 लाख दीपकों से जगमग हुई अयोध्या
भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में दिपावली महोत्सव मनाया जा रहा है. दीपोत्सव (Deepotsav) में 17 लाख दीये जलाए गए. सरयू पर स्वर्गलोक उतर आया. इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंचे हैं. इससे पहले अयोध्या में रामलीला के कलाकारों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने स्वागत किया. इस दौरान हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई.अयोध्या दीपोत्सव में वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया है.
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यहां 15 लाख 76 हजार दीये जलाए गए. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा आज अयोध्या जी, दीपों से दिव्य हैं, भावनाओं से भव्य हैं, आज अयोध्या नगरी, भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है. हमने त्रेता की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए, लेकिन प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से आज हम अमृतकाल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के साक्षी बन रहे हैं.
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र स्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने रामलला के दर्शन करके पूजा अर्चना की. दीपोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘आज से 6 वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्ग दर्शन और उनकी प्रेरणा से अयोध्या का दीपोत्सव (Deepotsav) कार्यक्रम शुरु हुआ, यह प्रदेश का एक उत्सव देश का उत्सव बनता गया. आज ये अपनी सफलता की नई ऊंचाई को छू रहा है.
‘राजा राम का अभिषेक करना सौभाग्य’
अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, ‘श्री रामलला के दर्शन और उसके बाद राजा राम का अभिषेक यह सौभाग्य राम जी की कृपा से ही मिलता है. जब श्रीराम का अभिषेक होता है तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श व मूल्य और दृढ़ हो जाते हैं. राम के अभिषेक के साथ ही उनका दिखाया गया पथ और प्रदीप्त हो उठता है.’पीएम मोदी ने कहा आज अयोध्या जी, दीपों से दिव्य हैं, भावनाओं से भव्य हैं, आज अयोध्या नगरी, भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है. हमने त्रेता की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए, लेकिन प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से आज हम अमृतकाल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के साक्षी बन रहे हैं. हम उस सभ्यता और संस्कृति के वाहक हैं, पर्व और उत्सव जिनके जीवन का सहज-स्वाभाविक हिस्सा रहे हैं.
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