जमात में शामिल होने की बात छिपाई, एयू प्रोफेसर पर मुकदमा दर्ज

जमात में शामिल प्रोफेसर की परीक्षा हॉल में लगी थी ड्यूटी, 150 छात्रों ने दी परीक्षा

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देश इन दिनों कोरोना की वजह से हालात बहुत ही ज्यादा नाज़ुक बने हुए हैं. ऊपर से मस्जिदों से जिस प्रकार से कोरोना वायरस फैलाने का काम किया जा रहा हैं। जिसके लेकर अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सख्त हो गई है। इसी कड़ी में दिल्ली के दब्लीगी जमात में शामिल हुई इलाहाबाद विश्वविद्यालय (एयू) के एक प्रोफेसर (professor ) पर पुलिस ने यात्रा विवरण को छिपाने के अपराध में शिवकुटी पुलिस चौकी में एक प्राथमिकी भी दर्ज की है।

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पूरे परिवार के साथ किया गया क्वारंटीन

दरअसल ये प्रोेफेसर (professor ) दिल्ली में तबलीगी जमात बैठक में भाग लिया, लेकिन पुलिस को इस बारे में सूचित नहीं किया। उन्हें गुरुवार से करेली इलाके के एक गेस्ट हाउस में परिवार के साथ क्वारंटीन में रखा गया है। इसके अलावा धारा 269 ( खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की संभावना), धारा 270 (घातक बीमारी फैलने की संभावना वाले कार्य) और धारा 271 (भारतीय दंड संहिता की संगरोध नियम की अवज्ञा) महामारी रोग अधिनियम, 1897 के अनुसार मामला दर्ज किया गया है।

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वहीं तबलीगी जमात से लंबे समय तक जुड़े रहने वाले प्रोफेसर को उनकी पत्नी और गोद लिए गए बेटे के साथ क्वारंटीन में रखा गया है। पुलिस के अनुसार, प्रोफेसर शहर के रसूलाबाद इलाके का निवासी है और कुछ महीने पहले इथियोपिया भी गया था। जब वह इथियोपिया से नई दिल्ली लौटा, तो उसने 6 से 10 मार्च तक निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात बैठक में हिस्सा लिया था।

परीक्षा हॉल में भी लगी थी ड्यूटी

बताया जा रहा है कि वह 11 मार्च को वापस इलाहाबाद आया और 12-16 मार्च तक वार्षिक परीक्षाओं के दौरान उसे निरक्षक की ड्यूटी सौंपी गई। वह एक परीक्षा हॉल में ड्यूटी पर था, जहां लगभग 150 छात्र पांच दिनों के लिए परीक्षा दे रहे थे।

उधर एसएसपी (प्रयागराज) सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने कहा, “हम अब उन छात्रों और संकाय सदस्यों की पहचान कर रहे हैं, जो प्रोफेसर (professor ) के संपर्क में आए थे। हम प्रोफेसर के परिवार के अन्य सदस्यों से भी मिलेंगे, जिनके संपर्क में वह दिल्ली से लौटने के बाद आए।” जानकारी के अनुसार, प्रोफेसर लंबे समय तक तबलीगी जमात से जुड़े रहे और संगठन के कई उच्च पदों पर रहते हुए कई देशों का दौरा किया।

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