पत्नी की चाहत में सेना के इस जवान ने बनवा दिया मंदिर, रोज करते थे पूजा…

0 27

सीतापुर — अपनी बेगम मुमताज़ की याद में शाहजहाँ ने दुनिया का सातवा अजूबा कहा जाने वाला ताजमहल बनवा दिया था। ऐसे ही अपनी पत्नी के प्रति चाहत रखने वाले आशिकों की इस धरती पर कोई कमी नही है। आज हम ऐसे ही एक शख़्स के बारे में आप को बताते वाले है।

Related News
1 of 59

दरअसल हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के महोली तहसील में स्थित फरीदपुर गाँव निवाशी भारतीय सेना से कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त फौजी रामेस्वर दयाल मिश्रा की जिनकी कहानी भी बहुत  ही रोमांटिक है।बताया जाता है कि वो अपनी पत्नी आशा देवी से बेतहाशा प्यार करते थे।

वहीं उनके बेटे डॉ मनोज कुमार मिश्र ने बताया कि पापा जब भी कही रिस्तेदारी या कही निमंत्रण में जाते थे तो मम्मी  के बगैर नही जाते थे।अचानक मेरी मम्मी आशा देवी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हो गयी उसके बाद 30 जनवरी 2007 में इस दुनिया से अलविदा हो गई तो हमारे पापा ने निर्णय लिया की मम्मी के यादगार में मंदिर बनवाते है और 2008 में मंदिर का निर्माण कराया। इसके साथ-साथ जयपुर से माँ की संगमरमर की प्रतिमा लेकर आये और मंदिर में स्थापित किया।

रोज़ाना सुबह शाम मम्मी की पूजा खुद पापा करते थे। इतना ही नही पापा कब कही बाहर घूमने जाते थे तो पापा की कार के बाई तरफ वाली सीट पर मेरी माँ आशा देवी की फ़ोटो हमेशा रखी रहती थी उस सीट पर किसी को बैठने का अधिकार नही था।मेरे पापा कैप्टन आरडी मिश्र का सपना था की मम्मी के नाम पर निःशुल्क गरीब बच्चो को शिक्षा दी जाये।1 जनवरी 2012 को पिता जी की एक मार्ग दुर्घटना में मौत हो गई।

भारतीय सेना में बहुत रहा योगदान…

बता दें कि कैप्टन रामेस्वर दयाल मिश्रा 1962 में चाइना वार में बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाई और देश के मान सम्मान को बरकरार रखा दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिया।इसके बाद 1970 बांग्लादेश की लड़ाई में भी हिस्सा लिया और दुश्मनों को धूल चटा दी।पचीस साल की बिना कोई दण्ड के बिना शिक़ायत के एकदम स्वछछवि की सेवाएं दिया जिसके लिए सेना द्वारा विशेष सेवा पदक भी मिला था।वहीं द्वारा बनवाए गए मंदिर आज भी पूजा अर्चना की जाती है।

(रिपोर्ट- सुमित बाजपेयी,सीतापुर)

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...