क्या मूर्ख दिवस मनाना जरूरी है?

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–( श्वेता सिंह )

‘‘अप्रैल फूल बनाया , तो तुमको गुस्सा आया।

इसमें मेरा क्या कसूर , जमाने का कसूर,

जिसने दस्तूर बनाया , अप्रैल फूल बनाया।‘‘

देश-विदेशों में कई तरह के दिवस मनाये जाते हैं ,लेकिन इन सभी दिवसों के बीच एक दिन आता है जिसे हम ‘मूर्ख दिवस’ के रूप में जानते हैं। एक ऐसा दिन जिस दिन हमेंअपनों के साथ मजाक करने का एक आधिकारिक अवसर प्राप्त हो जाता है। कई प्रकार से हम अपने दोस्तों, भाई ,बहनों व अन्य खास लोगों को बेवकूफ बनाने की तरकीब सोंचने लगते हैं और पूरे जोश के साथ अपनी तरकीब को मूर्त रूप भी देते हैं तथा सफलता मिलने पर जोर – जोर से ठहाके लगाने का अवसर भी नहीं गंवाते। आखिर क्यों मनाते हैं हम अप्रैल फूल डे ? इस मूर्ख दिवस का इतिहास कुछ इस प्रकार है –

वर्तमान समय में सभी देशों में ग्रेगेरियन कैलेन्डर को मान्यता प्राप्त है। जिसके अनुसार 1 जनवरी के दिन नया वर्ष मनाया जाता है। सभी देशों ने पूरे समर्थन के साथ इसे स्वीकार भी कर लिया है। लेकिन इसके पहले रोमन लोग 1 अप्रैल को और यूरोपियन लोग 25 मार्च को न्यू ईयर मनाते थे। इसी अंतर को समाप्त करने के लिए ग्रेगेरियन कैलेन्डर लाया गया ; जिसे सबसे पहले फ़्रांस ने स्वीकार किया। लेकिन कई देशों ने इसे मान्यता नहीं दी और इसी करण अपनी मान्यतानुसार वे लोग 1 अप्रैल को ही नया वर्ष मानते रहे। जब यह बात फैली तो उन लोगों को मूर्खों की श्रेणी में रखा गया। उन लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालों ने पहली अप्रैल के दिन उनसे विचित्र प्रकार के मजाक करने और झूठे उपहार देने शुरू कर दिए। जब सभी देशों ने एक ही कैलेंडर को अपना लिया तो इस दिवस को यादगार बनाने के लिए लोग इसे मूर्खता दिवस के रूप में मानाने लगे।

1 अप्रैल कोई आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है लेकिन इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में मनाया जाता है जब एक . दूसरे के साथ व्यवहारिक मजाक और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं। इस दिन दोस्तों , पड़ोसियों, परिजनों, शिक्षकों , सहकर्मियों आदि के साथ अनेक प्रकार के व्यवहारिक मजाक किये जाते हैं य जिनका उद्देश्य केवल आंतरिक आमोद . प्रमोद ही होता है। इस दिन अच्छे खासे समझदार और प्रतिभाशाली व्यक्ति भी बेवकूफ़ बनने या बनाने में ख़ुशी महसूस करते हैं। वैसे अन्य दिनों में किसी को मूर्ख बनाने से मूर्ख बना व्यक्ति नाराजगी जाहिर करता है ,लेकिन इस दिन वह बुरा नहीं मानता है। लोग तरह – तरह के उपाय कई दिन पहले से ही सोंचने में लग जाते हैं कि किस प्रकार से लोगों को बेवकूफ बनाकर इस दिन का आनंद उठाया जाये।

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यूं तो लोग रोज अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते रहते हैं; उन्हें तरह – तरह से परेशान करते रहते हैं, जोक मारते हैं लेकिन अप्रैल फूल डे लोगों को अपने करीबियों के साथ शरारत करने का लाइसेंस दे देता है और सभी को एक दूसरे को सताने का गोल्डन चांस मिल जाता है। इस दिन लोग बङा संभल कर रहते हैं कि कहीं हम मूर्ख न बन जाएं। ऐसे में कई बार होता है कि सच्ची घटनाओं को भी लोग शरारत समझ बैठते हैं।

इतिहास में भी कुछ ऐसी ही घटनाएं दर्ज हैं-

– 31 मार्च 1946 को अमेरिकी अधिकारियों ने हवाई और एलुइतन द्वीप को लेकर सुनामी की चेतावनी दी थी जिसे लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया। 1 अप्रैल को एलुइतन द्वीप पर आये भूकंप और सुनामी ने हवाई और अलास्का में 165 लोगों की जान ले ली थी। इस सुनामी को हवाई में ‘अप्रैल फूल डे सुनामी’ के रूप में जाना गया।

– मीडिया में जब 1 अप्रैलए 1947 को ग्रीस के किंग जॉर्ज II की मौत की खबर आई तो लोगों ने सोचा कि यह झूठी खबर है।

– 1979 में ईरान ने 1 अप्रैल को अपने राष्ट्रीय गणतंत्र दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी। आज भी इसे एक मजाक ही समझा जाता है।

– 2003 में दो प्रतिद्वंदी कंपनियों के विलय को जोक समझा गया।

– गूगल ने 2004 में जीमेल ;हउंपसद्ध को 1 अप्रैल को लांच किया था जिसे एक मजाक समझा गया था। 1 जीबी प्रति यूजर के स्टोरेज कैपेसिटी की पेशकश एक नया कॉन्सेप्ट था जिस पर पहले लोगों ने विश्वास नहीं कि‍‍या। गूगल की एक और घटना जो कि प्रैंक नहीं थी; लेकिन 1 अप्रैल को होने के कारण यकीन करने में मुश्किल आई। 1 अप्रैलए 2007 को कंपनी ने अपने न्यूयॉर्क सिटी ऑफ‍स में चेतावनी दी थी‍ कि बि‍‍ल्डिंग में अजगर घूम रहा है। कर्मचारियों को लगा कि यह मजाक है।

इस तरह की घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि 1 अप्रैल के दिन होने वाले प्रत्येक कार्य के लिए लोग एक बार सोंचते जरूर हैं और इसी सब के चलते सही बात को भी मजाक के तौर पर ले लेते हैं।अप्रैल के मूर्ख दिवस को रोकने के लिए यूरोप के कई देशों में समय समय पर अनेक कोशिशें हुईं हैं , लेकिन लाख विरोध के बावजूद यह दिवस मनाया जाता रहा है। अब तो लोगों ने इसे एक परम्परा के रूप में ले लिया है। इस दिवस को मनाने वाले कुछ लोगों का तर्क है कि वर्ष में एक बार सब आजाद होकर इस दिवस को मनाते हैं जिससे मन – मष्तिस्क में ऊर्जा का संचार हो जाता है। कहते हैं कि ‘एक मूर्ख की बुद्धि दूसरे के ज्ञान से प्रभावित होती है।‘ इस प्रकार इस दिन लोग अपनी बुद्धि का भी प्रदर्शन करते हैं।

इस दिवस को मनाने को लेकर इतिहास में भले ही कई विरोध दर्ज हों लेकिन आज भी इसकी लोकप्रियता का एक ही कारण है कि मूर्ख बनने या बनाने से लोगों को एक क्षणिक आनन्द की अनुभूति होती है लेकिन हर व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपके मजाक से किसी का बुरा या अहित न हो। ध्यान रखें कि मजाक केवल एक हद में ही होता है, अप्रैल फूल बनाने के चक्कर में किसी की भावनाओं को ठेंस न पहुंचाई जाए और किसी को भी मूर्ख बनाने से पहले उसकी प्रतिक्रिया के बारे में सोंचा जाए तथा सामाजिक स्तर पर माखैाल उङाने से बचा जाए तो इस दिवस को मनाने में किसी तरह की बुराई नहीं है। 

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