बदायूंः 800 वर्ष पुराने इस प्राचीन मंदिर में सुबह 3 बजे होता है मां का श्रृंगार
बदायूं — प्राचीन नगला शक्तिपीठ में दर्शन के लिए सुबह 4 बजे पहुंच जाते हैं श्रद्धालु 800 वर्ष पुराने प्राचीन नगला शक्तिपीठ का सुबह 3 बजे मां का श्रृंगार होता है और मां के श्रृंगार का दर्शन करने के लिए मंदिर में सुबह चार बजे से ही भक्तों का तांता लग जाता है।
यूँ देश भर में लाखो मंदिर है जहा पूरी साल भक्तो का ताता लगा रहता है पर इन मंदिरो में नवरात्र के दिन कुछ और ही नजारा देखने को मिलता है -बदायूं जिले में स्थित प्राचीन नगला शक्तिपीठ मंदिर की नवरात्रि के दिनों में बड़ी महत्ता है, जहां मां दुर्गा के नौंवों रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा भी जिले में स्थित वजीरगंज की खेरेवाली और बिरुआवाली मंदिरों की चर्चा होती है।
लेकिन नगला शक्तिपीठ में पहले दिन से लेकर नौवमी तक भारी संख्या में भक्तों की भीड़ दिखाई देती है और घंटों और घढ़यालों की गूंज से माहौल भक्तिमय रहता है।इस मंदिर में मान्यता है यहाँ मदन मोहन मालवीय और काकोरी काण्ड के देश भक्तो ने माता के आगे माथा टेकर कर आशिर्बाद प्राप्त किया था और क्रांतिकारी कई दिनों तक यहाँ रहे थे।मान्यता है कि नगला शक्तिपीठ मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की सभी मन्नतें पूरी होती है।
बताते हैं कि कई सौ वर्ष पुराने प्राचीन नगला शक्तिपीठ का सुबह 3 बजे मां का श्रृंगार होता है और मां के श्रृंगार का दर्शन करने के लिए मंदिर में सुबह चार बजे से ही भक्तों का तांता लग जाता है।रिपोर्ट के मुताबकि नगला शक्तिपीठ मंदिर में मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को नंगे पैर प्रवेश दिया जाता है, जिसके लिए एक किमी लंबी लाइन लगती है। मां के दर्शन के लिए लाइन में खड़े श्रद्धालु हाथों में पूजन सामग्री लेकर मां के जयकारों के साथ मंदिर में मां का दर्शन करते हैं और आर्शिवाद लेते है।
हालांकि नगला शक्तिपीठ मंदिर के अलावा बदायूं जिले में कई और प्राचीन देवी मंदिर हैं, इनमें शिवगौरी मंदिर और हरप्रसाद मंदिर शामिल हैं, जहां विधिवत रुप से मां की श्रृंगार करके पूजा-अर्चना की जाती है।
(रिपोेर्ट-राहुल सक्सेना,बदायूं)