लखनऊ — उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश में भारी प्रशासनिक फेरबदल करने की तैयारी में है। योगी सरकार गुजरात चुनाव के बाद यूपी में सीएम की कसौटी पर खरे ना उतरने वाले नौकरशाहों की छुट्टी होना तय माना जा रहा है।
अपने कार्य में फिसड्डी साबित हो रहे अफसर कुर्सी बचाने के लिए अपने राजनीतिक आकाओं के दरवाजों पर दस्तक देनी शुरू कर दी है। वहीं खराब प्रदर्शन वाले नौकरशाहों की नींद उड़ गई है। गौरतलब है कि सूबे की सत्ता संभाले हुए योगी सरकार को लगभग 9 माह पूरे हो चुके हैं। भारी संख्या में नौकरशाहों ने जोड़-तोड़ और राजनीतिक संबंधों का फायदा उठाते हुए महत्वपूर्ण पद हासिल कर लिए थे। लेकिन रिजल्ट देने के बजाए अपनी पुरानी कार्यशैली में मस्त रहे। जिससे योगी सरकार की कई मोर्चों पर किरकिरी हुई।
वहीं निकाय चुनाव की पहली परीक्षा सफल होने के बाद अब योगी सरकार की असली परीक्षा 2019 में होने वाले लोकसभा के चुनाव हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए योगी सरकार ने अफसरों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करने और भविष्य के रोडमैप तैयार करना शुरु कर दिया है। जिससे तय है कि जल्द सूबे की नौकरशाही में भारी फेरबदल होने वाला है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गुजरात चुनाव के परिणाम आने के बाद यूपी की नौकरशाही में पंचमतल से लेकर प्रथम तल तक बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही जिलों में तैनात कई जिलाधिकारियों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। यहीं नहीं योगी सरकार ने अधिकतर अफसरों का ‘रिपोर्ट कार्ड’भी तैयार कर लिया है। जिससे खराब प्रदर्शन वाले नौकरशाहों की नींद उड़ी हुई है।
सूत्रों का दावा है कि पंचमतल पर तैनात अफसरों में से कई का डिमोशन होना तय है। इसके साथ ही आवास, बिजली, सचिवालय प्रशासन विभाग, पीडब्लयूडी जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मुखिया को हटाने की संभावना है।माना जा रहा है कि योगी सरकार रिजल्ट ओरियंटेड अफसरों को तरजीह देने की तैयारी में है। इससे संभावना है कि साइड लाइन अफसरों को मौका मिलेगा।