लखनऊ — यूपी में सभी निराश्रितों को तोहफा देते हुए योगी सरकार ने 100 रुपए पेंशन बढ़ोतरी का ऐलान किया है। अब 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को 400 रुपए के बजाय 500 रुपए मासिक पेंशन मिलेगी,
साथ ही इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश के सभी 75 जिलों में 20 जनवरी से 31 जनवरी तक स्पेशल कैंप लगाने के निर्देश दिए गए है जहां सभी पात्र निराश्रित लोग अपना रजिस्ट्रेशन कराकर इस योजना का लाभ ले सकें।
सीएम योगी की ओर से दिए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक सभी के जिलों के डीएम/सीडीओ ये सुनिश्चित करेंगे कि 60 साल से ज्यादा उम्र के पात्र निराश्रितों जिसमें साधु-संत भी शामिल हो सकते है को इस योजना के तहत पंजीकरण कराकर लाभ मिल सके। सीएम के इस ऐलान के बाद राजनीति शुरू हो गई है और इस मुद्दे पर खुद आगे आते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य सरकार पर तंज कसा कि सभी निराश्रितों में सिर्फ साधु-संत ही नही रामलीला के पात्रों को भी शामिल किया जाए और सरकार उन सभी को 20 हजार रुपए महीना पेंशन दें। उसके बाद भी अगर सरकारी खजाने में कुछ बचे तो रावण के पात्र को भी इस योजना का लाभ दिया जाए।
वहीं कांग्रेस का कहना है कि सिर्फ 400 रुपए से 500 रुपए कर देने से काम नही चलेगा बल्कि योगी सरकार को पंजाब की कांग्रेस सरकार की तर्ज पर ये पेंशन 2 हजार रुपए करनी चाहिए। इस मुद्दे पर शुरू हुई राजनीति में अखिलेश यादव के तंज पर पलटवार करते हुए योगी सरकार के धर्मार्थ कार्य मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी का कहना है कि बयान देने से पहले अखिलेश यादव को अपना कार्यकाल नही भूलना चाहिए जब ग्राम पंचायतों की जमीन पर करोड़ों रुपए खर्च कर कब्रिस्तान बना दिए गए और सरकारी पैसे से ही मस्जिदों पर लाउडस्पीकर लगा दिए गए थे।
निराश्रितों में साधु-संतों के भी शामिल होने की संभावनाओं पर अखिलेश यादव को अगर इतना ही एतराज है तो खुलकर अपने चुनावी एजेंडे पर आते हुए उन्हें इसका विरोध करना चाहिए। वैसे हम सभी जानते है कि कुर्ते के ऊपर जनेऊ धारण करने और मस्जिद में टोपी लगाकर बधाई देने से कोई भारतीय संस्कृति का पोषक नही हो जाता है वो सिर्फ अपने मतदाता का पोषक हो सकता है और वोट की खातिर ही ये लोग ऐसा ड्रामा करते है।