जब इन दो महिलाओं ने खोलकर रख दी महिला जिला अस्पताल में भ्रष्टाचार की पोल…

मथुरा– प्रदेश में भले ही निजाम बदला हो लेकिन व्यवस्था बदलने का नाम नहीं ले रही है । ख़ास तौर पर स्वास्थ्य विभाग में । विकलांग प्रमाणपत्र के लिए पति को पीठ पर लादकर भटकती पत्नी का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि महिला जिला अस्पताल में

व्याप्त भ्रस्टाचार की कलह सतह पर आ गयी और इसको लेकर संविदा महिला कर्मियों ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के कार्यालय में जमकर हंगामा काटा और वेतन का 30 प्रतिशत तक रिश्वत लेने का आरोप लगाया ।

महिला जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ बसंत लाल के सामने रो रो कर संविदा महिला कर्मी सविता शर्मा और ऋचा शर्मा अपना दुख बया किया। इन महिलाओं ने तीन माह का वेतन न मिलने के चलते सीएमएस कार्यालय में जमकर हंगामा काटा और अस्पताल में व्यापत भ्रस्टाचार की परतें खोली । पीड़िता का आरोप था कि एक तरफ सरकार भ्रस्टाचार को दूर करने की बात करती है तो वही मरीजो के साथ साथ हमारा उत्पीड़न किया जाता है । सविता शर्मा ने आरोप लगाया कि हाजरी और अनुपस्थिति के खेल में ही नोडल ऑफिसर उनका उत्पीड़न करता है और 20 से 30 प्रतिशत तक की रिश्वत लेकर वेतन बनाता है । सविता के साथ साथ रिचा शर्मा ने आरोप लगाया कि पिछले तीन महीने का वेतन कल मिला है और मातृत्व लीव का वेतन तो अभी तक नहीं मिला है । इन महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने आरोप लगाया कि किशोर माथुर सीएमएस के नाम रिश्वत मांगते है । रिचा ने आरोप लगाया कि 30 प्रतिशत न देने का यह परिणाम है कि पिछले साल की मातृत्व लीव का पेमेंट अभी तक नहीं हुआ है । उधर सविता शर्मा  ने लगाया कि इस अस्पताल की अब यह हालात हो गए है कि अस्पताल की ईट ईट पैसा मांगती है । न देने पर मरीज धक्के खाता है और हम भी धक्के खा रहे हैं । उन्होंने आरोप लगाया कि हम से भी हर काम का पैसा लिया जाता है और न देने पर शोषण किया जाता है । अब हालात सीमा से बाहर हो गए हैं । उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा इसका विरोध किया जाता है तो यह लोग जान बूझकर मेरा शोषण करते हैं । सविता ने सूबे के मुखिया से अपील करी की इन लोगो का शोषण बंद किया जाए। 

जब सीएमएस साहब से उनके ही कार्यलय में व्याप्त भ्रस्टाचार और लग रहे आरोपो के बारे में बात की गयी तो उन्होंने स्वीकार किया कि हाजरी में कुछ गोलमाल था त्रुटि को सही कराया जा रहा है । साथ ही पहले cms इस बात को कैमरे पर नकारते रहे की कमीशन और रिश्वत का कोई खेल यहाँ चल रहा है ।लेकिन जब महिला ने इस बात की पुष्टि करायी तो सीएमएस साहब नकार न सके और बताया कि मौखिक रूप से शिकायत मिली थी ।उधर जब आरोपी डॉ किशोर माथुर से उन पर लगे आरोपो के बारे में बात की गयी तो वह हर आरोप को सिरे से नकारते रहे लेकिन जब इस बात को उनसे पूछा गया कि जो दस्तावेज सविता द्वारा दिए गए है उसमें उसका नाम नहीं है जिस पर वह बोले की अलग से भेजा गया था उनका नाम साथ ही इस बात को बजी स्वीकार किया कि वह हाजिरी बिना सीएमएस के हस्ताक्षर के सीधे भेजते हैं । किशोर माथुर के इस जबाब से स्पष्ट होता है कि किशोर माथुर के लिए अपने सीनियर और सीएमएस कितने मायने रखते हैं ।जिला अस्पताल में भरस्टाचार के आरोप पहली बार लगे है एशा नहीं है । इससे पहले भी कई बार यहां मरीज उनके तीमारदार डॉक्टर, कर्मचारियों पर पैशे मांगने का आरोप लगाते रहे है । लेकिन यह पहली बार है जब यहां तैनात संविदा कर्मी ने अस्पताल में व्याप्त भरस्टाचार की परत खोली है । अब देखना होगा कि सारे हंगामे को मूक दर्शक की तरह देखने वाले सीएमएस इस मामले में कोई कार्यवाही करते है या फिर ये मामला भी और मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है ।

(रिपोर्ट – सुरेश सैनी , मथुरा )

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