न्यूज डेस्क — प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने सरोगेसी नियमन विधेयक 2019 में बदलाव करते हुए विधवा और तलाकशुदा महिलाओं को भी सरोगेसी के जरिए मां बनने का अधिकार देने का फैसला किया है।राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए सेरोगेसी (किराए की कोख) बिल को मंजूरी दे दी है। बिल की मंजूरी के बाद विधवा हो या तलाकशुदा महिलाओं को भी सरोगेसी का अधिकार होगा।
नये नियम में ये हुआ बदलाव
नए नियम में सेरोगेट मदर के मेडिकल कवर को 18 से बढ़ाकर 36 महीने का कर दिया गया है। शादी के बाद सरोगेसी की इजाजत की सीमा को भी 5 साल से घटा दिया गया है।भारतीय विवाहित जोड़े, विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के विवाहित जोड़े और अकेली भारतीय महिलाएं कुछ शर्तों के अधीन सरोगेसी का फायदा उठा सकेंगी। हालांकि अकेली महिलाओं की स्थिति में उनका विधवा या तलाकशुदा होना जरूरी होगा। साथ ही उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच होनी चाहिए। महिला व बाल विकास मंत्रालय की मंत्री स्मृति ईरानी ने सेरोगेसी बिल पेश किया था। इसके कुछ बिंदुओं पर आपत्ति के चलते उसे राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया था।
सेलेक्ट कमेटी ने कुछ सिफारिशें दी थीं। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूर कर लिया गया। मौजूदा सिफारिशों में अब महिला विधवा हो या तलाकशुदा, उसे भी सरोगेसी के जरिए मां बनने का अधिकार है।
वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के प्रजनन के अधिकारों में उदारवादी विचारों को बढ़ावा दिया है। फिर चाहे वह एसिसटेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल हो या फिर सेरोगेसी बिल हो। सेरोगेसी संशोधन बिल को अगले महीने बजट सत्र के दूसरे हिस्से की शुरुआत में पेश किया जा सकता है।